कर्बला का अर्बाइन अपने आप में एक अजूबा है,जाने कैसे ?

आलमे इन्सानियत और आलमे इस्लामियत का सबसे बड़ा इज्तेमा जहां एक वक़्त में विभिन्न रंगों नस्लों का जमावड़ा होता है, और अलहमदुलिल्लाह करोड़ों लोग एक वक़्त में एक जगह पे, हर जगह से, हर तरफ से बस एक सदा लब्बैक या हुसैन बोलते चले आते हैं। जहां ना किसी मज़हब की क़ैद है ना नस्लों ज़बान की ना खाने की क़ैद है, ना रहने की। इराक़ का कर्बला शहर अर्बाइन (इमाम हुसैन अ.स. की शहादत के चालीसवें दिन) इराक़ के कर्बला शहर में, ज़ायर दुनिया के कोने कोने से पहुंचता है, ज़मीन फैलती जाती है और ज़ायरीन ए इमाम हुसैन अ.स. उसमें सिमटते जाते हैं। जिस शहर में पचास लाख से एक करोड़ से ज़्यादा लोग एक वक़्त में खड़े नही हो सकते हैं जहां जिस शहर की क्षमता ही पचास लाख से लेकर अधिकतम एक करोड़ लोग इकट्ठा हो सकते हैं उस शहर में एक वक्त में माशाअल्लाह सात से दस करोड़ लोग इकट्ठा होते हैं। जहां पीने का पानी पूरे इराक़ के लिए भी पर्याप्त नहीं हो पाता, वहां करोड़ो लोग पानी पीते हैं दैनिक क्रिया करते हैं, लेकिन पानी पर कोई असर नहीं होता। ये इमाम हुसैन अ.स. के रौज़े का चमत्कार है वरना 4 करोड़ 20 लाख की...