क़िस्मत और उम्मीद पार्ट-1

आर्यन पढ़ाई लिखाई में एवरेज था लेकिन उसका दिमाग़ तेज़ चलता था नया नया दौर शुरू हुआ था सोशल मीडिया का आर्यन के पास संसाधन नही था, ना फोन था मल्टी मीडिया ना कम्प्यूटर था। वो साइबर कैफे जाता अपनी दिन भर की पॉकेट मनी अपने शौक़ पूरे करने में लगाता था। सफ़र्रिंग करता तो यूट्यूब उस वक़्त बफरिंग करता। 2006 में ऑरकुट पर अपनी पहली सोशल मीडिया आईडी बनाई। धीरे धीरे 2007 में फेसबुक की चर्चा बढ़ी तो आर्यन फेसबुक पर आगया उस वक़्त आर्यन कक्षा नौ में था 2008-2009 के दौरान वो फेसबुक पर आया उसके बाद 2011 में उसके घर कम्प्यूटर आने से वो सोशल मीडिया पर अपना वक़्त गुज़ारने लगा किसी को ढूंढने के लिए। *फ्लैश बैक* आर्यन एक मुस्लिम लड़का था 2009 में उसका एक दोस्त उसे एक फ़ोन देता है रिलाइंस का उसमे वो रिलायंस की सिम लगा कर फ़ोन चलाने लगता है। नया नया फ़ोन चलाने का अनुभव, उसे मज़ा आता था। वो भी चाहता था कोई हो जिससे ख़ूब बातें करें sms करें। 17 मई 2009 को आर्यन के पास रात दो बजे एक दोस्त की कॉल आती है। आर्यन पढ़ाई कर रहा होता है उसका सपना सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का था लेकिन उसके पास इतना पैसा नही था कि वो अपनी मर्ज़ी ...