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इस आग (तनाव) में इंसान निखर जाता या बिखर जाता है!!

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इंसान का गुस्सा,हसद,जलन,और बेसरहद फ़रमाइश  लतादात आरज़ूओ की ख़्वाहिश उसे तनावग्रस्त, फ़िक्रमंद करती है। टेंशन और डिप्रेशन दो ऐसी आग है जिसमे इंसान या तो निखर जाता है या फिर बिखर जाता है। कभी कभी तनाव भी कुछ ऐसे रास्ते दिखा देता है जिसे हम देख नही सकते। हमारी क़ुव्वत और तवानाई को ये तन्हाई से ही ताक़त मिलती है। जब इंसान महफ़िल में होता है तो ख़ुदा से दूर होता है और जब इंसान तन्हा होता है तब ख़ुदा के क़रीब होता है। शैतान का सबसे बड़ा हथियार औरत और दौलत है, जिसके वार से एक भी इंसान नही बचता है। औरत की लज़्ज़त और और दौलत ओ शोहरत में लतादात ज़बरदस्ती की बरक़त इंसान को ख़त्म कर देती है।  ईमाम अली अस. ने फरमाया, इंसान कभी क़ुदरती मौत नही मरता उसे दूसरों से जुड़ी बावस्ता उम्मीदें,ख़्वाहिशें मार देती है।  हम दूसरों से मदद की आस में अपनी क़ाबिलियत को खो देते हैं। जिस काम को करने का हुनर होता है उस काम को छोड़ दूसरे के काम को करने का जज़्बा पाल लेते हैं। ऊपर वाले है हर किसी को किसी एक ख़ास मक़सद से पैदा किया है। हमे जितना मिलता है उसमें हम सुकून से नही रहते और अच्छा और अच्छा इससे बेहतर की ख़्वाह...