इसने ख़्वाब में मेरी माँ का रेप किया है, ठीक है इसकी परछाई को 100 कोड़े लगाओ

एक बार एक आदमी किसी को खींचते हुवे लेकर चला आरहा था हज़रत अली अलैहिस्सलाम का उधर से गुज़र होरहा था । हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने पूछा कहाँ से इसे इस तरह ले जारहे हो ? उस शख़्स ने कहा या अली हम आपके ही पास अपना मुक़दमा लेकर आरहे थे । हज़रत अली अ. स. ने पूछा क्या माजरा है ? उस आदमी ने कहा या मौला अली इसने फलां शख़्स से कहा है कि इसने मेरी माँ के साथ ख़्वाब में ज़िना (रेप) किया है या अली अब आप ही इंसाफ करें । मौला अली ने फ़रमाया ठीक है इसे धूप में खड़ा करो और इसकी परछाई को 100 कोड़े लगाओ । उस शख़्स ने फ़रमाया या अली ये कैसे मुमक़िन है भला परछाई को कोड़े लगाने से इसे क्या चोट पहुँचेगी ? मौला अली ने फ़रमाया वही चोट इसे पहुँचेगी जो इसने ख़्वाब में तुम्हारे माँ के साथ ज़िना करके पहुंचाई है । वह शख़्स समझ गया कि हज़रत अली क्या कहना चाहते हैं उसने माफ़ी माँगी । हज़रत अली ने कहा ख़्वाब से किसी को कोई नुक़सान नही होता बस ख़्वाब ग़ुमराह कर देते हैं अपने ज़हन को पाक़ रखा करो वो दोनों वहाँ से चले गए । अब हमारी अदालत का रुख़ करते हैं जहाँ किसी लड़की ने कह दिया इसने गंदे मैसेज करके मेरा शारिरिक शोषण करने की कोशि...