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Showing posts from October, 2020

इसने ख़्वाब में मेरी माँ का रेप किया है, ठीक है इसकी परछाई को 100 कोड़े लगाओ

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एक बार एक आदमी किसी को खींचते हुवे लेकर चला आरहा था हज़रत अली अलैहिस्सलाम का उधर से गुज़र होरहा था । हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने पूछा कहाँ से इसे इस तरह  ले जारहे हो ? उस शख़्स ने कहा या अली हम आपके ही पास अपना मुक़दमा लेकर आरहे थे । हज़रत अली अ. स. ने पूछा क्या माजरा है ? उस आदमी ने कहा या मौला अली इसने फलां शख़्स से कहा है कि इसने मेरी माँ के साथ ख़्वाब में ज़िना (रेप) किया है या अली अब आप ही इंसाफ करें । मौला अली ने फ़रमाया ठीक है इसे धूप में खड़ा करो और इसकी परछाई को 100 कोड़े लगाओ । उस शख़्स ने फ़रमाया या अली ये कैसे मुमक़िन है भला परछाई को कोड़े लगाने से इसे क्या चोट पहुँचेगी ? मौला अली ने फ़रमाया वही चोट इसे पहुँचेगी जो इसने ख़्वाब में तुम्हारे माँ के साथ ज़िना करके पहुंचाई है । वह शख़्स समझ गया कि हज़रत अली क्या कहना चाहते हैं उसने माफ़ी माँगी । हज़रत अली ने कहा ख़्वाब से किसी को कोई नुक़सान नही होता बस ख़्वाब ग़ुमराह कर देते हैं अपने ज़हन को पाक़ रखा करो वो दोनों वहाँ से चले गए । अब  हमारी अदालत का रुख़ करते हैं जहाँ किसी लड़की ने कह दिया इसने गंदे मैसेज करके मेरा शारिरिक शोषण करने की कोशि...

या नबी हम शर्मिंदा हैं, मुसलमान शैतान के कारिंदा हैं

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Add caption हज़रत मोहम्मद सल्लाहो अहले वा इलाही वस्सलम फ़रमाते हैं । वतन से मोहब्बत ईमान की निशानी हैं । जिस रसूल ने ये कहा हो वतन से मोहब्बत ईमान की निशानी है उसने सीधे तौर पर बता दिया अपने मुल्क़ अपने देश से मोहब्बत करो अब ये हम पर सुन्नत है कि अपने देश से मोहब्बत करें । ये वही रसूल हैं जिन्हें हर तरह की अज़ीयत दी गयी अज़ीयत देने वाले कोई ग़ैर नही अपने थे । वही अज़ीयत आज भी अपने दे रहे हैं । पूरी दुनिया में राहमतुल आलमीन बनकर आए नबी की उम्मत ही एक दूसरे को अज़ीयत दे रही है कभी ईरान-इराक़ कभी सऊदी-ईरान, सीरिया ,यमन, तुर्की , अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान यहाँ मुसलमान ही मुसलमान का दुश्मन है । मुसलमान ही एक दूसरे को अज़ीयत दे रहा है कभी जन्नत की लालच का ख़्वाब देखा कर क़त्लो ग़ारत करके कभी हूरों की आरज़ू लेकर बेगुनाहों का ख़ून बहाता रहता है । जिस नारा ए तक़बीर को हर घर में बुलंद होना था उसे जेहादी बना दिया गया अल्लामा इक़बाल ने क्या ख़ूब कहा है अजब तमाशा हुआ इस्लाम की तक़दीर के साथ क़त्ल ए शब्बीर भी हुआ तो नारा ए तक़बीर के साथ  क्या यही शिक्षा दिया था रसूल ने कि मेरे बाद उम्मत इतनी तब्दीलियाँ कर द...

होगए शहीद भाई, आज चेहलूम पर भाई को बहन रो पायी, सकीना भी थक के सोगयीं फिर मिली भईया हमे रिहाई

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चेहलूम या आर्बाइन क्या होता है और ये क्यों मनाया जाता है  हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे (नाती) हज़रत इमाम हुसैन अ.स. को दस मुहर्रम सन 61 हिजरी को कर्बला के तपते रेगिस्तान और कंटीले जंगल में इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को बहुत बेरहमी से तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया था जिसमे इमाम हुसैन के छह महीने के बच्चे शहज़ादे अली असग़र भी शामिल थे । यज़ीद की फ़ौज ने इमाम हुसैन के बच्चों पर भी रहम नही खाया था तीन दिन तक नहर पर पहरा लगा कर पानी रोक दिया नही कुछ खाने का था ना पीने का बच्चे प्यास से तड़प रहे हैं पर यज़ीद की फ़ौज ने पानी नही पिलाया । शहज़ादे अली असग़र जो कि केवल छः माह के थे जब प्यास से व्याकुल होकर तड़पने लगे इमाम हुसैन उन्हें मैदान ए कर्बला में यज़ीद की फौज के पास लाकर कहा "तुम्हारा गुनाहगार मैं हूँ तुम्हे मुझसे दुश्मनी है इस बच्चे ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ये तीन दिन का भूखा प्यासा है इसे पानी पिला दो " इमाम हुसैन ने शहज़ादे अली असग़र को हाथों पर ऊपर उठा कर दिखाया कि देखो मेरे साथ ये नन्हा सा बच्चा है इसे पानी पिला दो चाहो तो मुझे क़त्ल कर दो तभी यज़ीद की फौज से आवाज़ ...