इसने ख़्वाब में मेरी माँ का रेप किया है, ठीक है इसकी परछाई को 100 कोड़े लगाओ
एक बार एक आदमी किसी को खींचते हुवे लेकर चला आरहा था हज़रत अली अलैहिस्सलाम का उधर से गुज़र होरहा था । हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने पूछा कहाँ से इसे इस तरह ले जारहे हो ?
उस शख़्स ने कहा या अली हम आपके ही पास अपना मुक़दमा लेकर आरहे थे । हज़रत अली अ. स. ने पूछा क्या माजरा है ?
उस आदमी ने कहा या मौला अली इसने फलां शख़्स से कहा है कि इसने मेरी माँ के साथ ख़्वाब में ज़िना (रेप) किया है या अली अब आप ही इंसाफ करें । मौला अली ने फ़रमाया ठीक है इसे धूप में खड़ा करो और इसकी परछाई को 100 कोड़े लगाओ । उस शख़्स ने फ़रमाया या अली ये कैसे मुमक़िन है भला परछाई को कोड़े लगाने से इसे क्या चोट पहुँचेगी ?
मौला अली ने फ़रमाया वही चोट इसे पहुँचेगी जो इसने ख़्वाब में तुम्हारे माँ के साथ ज़िना करके पहुंचाई है । वह शख़्स समझ गया कि हज़रत अली क्या कहना चाहते हैं उसने माफ़ी माँगी । हज़रत अली ने कहा ख़्वाब से किसी को कोई नुक़सान नही होता बस ख़्वाब ग़ुमराह कर देते हैं अपने ज़हन को पाक़ रखा करो वो दोनों वहाँ से चले गए ।
अब हमारी अदालत का रुख़ करते हैं जहाँ किसी लड़की ने कह दिया इसने गंदे मैसेज करके मेरा शारिरिक शोषण करने की कोशिश की है पुलिस उस बन्दे को पकड़ के हवालात में डाल देती हैं और उसपर जुर्माना भी ठोक देती हैं । दिमाग़ के करतूतों की सज़ा जिस्म को भुगतनी पड़ती है । ना शरीर को कोई नुक़सान पहुँचा ना चोट लगी पर सज़ा होगयी । आए दिन ऐसा होता है पर ये क्यों होता है ।
हमारे शरीर का मैन पावर हमारा दिमाग़ है माइटोकांड्रिया हमारे दिमाग का CPU लिवर पावर सप्लाई स्टेशन और दिल हमारा ट्रांसफार्मर होता है किडनी हमारा फ़्यूज़ होती है इन हमारे शरीर के 79 ऑर्गन्स को दिमाग़ कंट्रोल करता है दिमाग़ से एक 8.6 खरब तंत्रिका कोशिकाएं होती है जिससे 100 ट्रिलियन शरीर की कोशिकाओं का कनेक्शन जुड़ा रहता है । ये हमारे शरीर में एक मिल्की वे गैलेक्सी से भी ज़्यादा होते हैं जिसमे खरबों बैक्ट्रिया होते हैं । जब भी हम कुछ देखते ,सुनते , खाते, पीते, महसूस करते हैं हमारा शरीर दिमाग को 0.00015 सेकंड में संकेत देता है इतनी देर में दिमाग हमारे उस ऑर्गन्स को भी संकेत दे चुका होता है जिसका वो काम होता है इस 0.00015 सेकंड की दूरी को पूरा करने में हमारी रक्त वाहिकाओं को करोड़ो अरबो कोशिकाओं को पामाल करना पड़ता है या यूं समझ ले हमारे शरीर में रिएक्टर स्केल पर 30 मैग्नीट्यूड का भूकम्प आता है अगर 9 मैग्नीट्यूड से ज़्यादा भूकम्प आये तो पूरी दुनिया तबाह होजाए सोचिए 30 मैग्नीट्यूड जितने भूकम्प से क्या होगा ये पलक झपकाते ही जौनपुर से ऑस्ट्रेलिया पहुँचने भर की देरी होती है इस 0.00015 सेकंड को पूरा करने में शरीर का बैलैंस गड़बड़ा जाता है ये औसतन हम जब किसी लड़की के साथ हमबिस्तरी का ख़्याल करते हैं या हम बिस्तरी करने जाते हैं या बहुत ज़्यादा गुस्सा करते हैं तब ये होता है इतनी सी देर में हमारा शरीर 1000 वॉट के बराबर बिजली जितनी ऊर्जा का उपयोग कर चुका होता है जिससे हमारे महत्वपूर्ण हार्मोन्स "एंडोर्फिन, डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन, सिरोटोनिन, और टेस्टोस्टेरोन का असंतुलन होजाता है जिस वजह से हम अपने जज़्बात, ग़ुस्से पर क़ाबू खो देते हैं हमारा दिमाग़ काम करना बंद कर देता हैं इसमे आर्कमिडीज़ का महत्वपूर्ण सिद्धान्त काम करता हैं , आर्कमिडीज़ कहते हैं किसी वस्तु में जब कोई चीज़ डाली जाती है तो उसके बराबर का भार वो ऊपर की तरफ़ फेंकती है । जैसे अगर हम किसी बाल्टी में मग या जग डालते हैं तो जितना बड़ा मग या जग रहता है जिसे हम डुबोते हैं उतना ही पानी का भार ऊपर की तरफ़ बह कर निकल जाता है । इसीतरह हमारा शरीर जब अचानक से कोई बुरे ख़्याल करता है तो ऊपर से पड़ने वाला दबाव नीचे की तरफ तेज़ी से जाता है और वो टेस्टोस्टेरोन हार्मोन्स को एक्टिव कर देता है जिससे हमारे ज़हन में और शरीर में शैतानियत पैदा होजाती है और हम ग़लत काम की तरफ रुजू करते हैं या लबाता करके अपने उस हार्मोन्स को डिसचार्ज करते हैं । यही वजह है कि हम जब किसी लड़की के शरीर को देखते हैं या उससे ग़लत बातें करते हैं तो एक अजीब सी फीलिंग्स होती है जो हमे गुनाहों की तरह धकेल देती हैं । इस तरह हम अपने शरीर को और दिमाग़ को सज़ा देते हैं । इसीलिए नींद बनी है ताकि शरीर का सारा सिस्टम रिपेयर होता रहे और शरीर को आराम मिले नींद ना पूरी होने हज़ार बीमारियों कि वजह है । अब मसला ये होता है जब ऐसा हो तो उससे छुटकारा कैसे पाएं इसके लिए अल्लाह के नबी हज़रत मोहम्मद साहब ने फ़रमाया है जब भी तुम्हे गुस्सा आए अपने पैर के अंगूठे को देखने लगो या ठंडा पानी पीयो फिर बैठ जाओ । गुस्सा या सेक्सुअल ख़्यालात की वही कैफ़ियत रहती है दोनों में एक बराबर ऊर्जा बर्बाद होती है और अगर हमारे सामने वो चीज़ रहे तो हमारा गुस्सा और शारीरिक तनाव बढ़ने लगता है जब हम नज़रे नीची कर लेंगे तो हमारा दिमाग़ उस वस्तु से अपना ध्यान हटा देता है । किसी चीज़ पर ग़लत नज़रिए से ध्यान केंद्रित करने से ही हम ग़लत काम की तरफ जाते हैं अगर फौरन निगह नीची कर ले तो हम गुनाहों से बच जायेंगे ।
इस्लाम भी यही कहता है क़ुरआन ने ज़िना की मनाही है हराम करार दिया है । अल्लाह के रसूल फ़रमाते हैं जब भी तुम चलो तो अपनी निगाहें नीचे और अपना सर ऊँचा रखो इससे पता चलता है तुम एक बाइज़्ज़त घराने से ताल्लुक़ रखते हो । क़ुरआन फरमाता है अपनी निगह को नीचे रखो ना महरहम (पराई स्त्री) की तरफ मत देखो । पर अफ़सोस हमने कभी ग़ौर नही किया अगर हम क़ुरआन और अहलेबैत अलैहिस्सलाम की बातों पर ग़ौर करें तो सारे बुरे कामो से बच जायेंगे । असल इस्लाम ये हैं जिसे आज का मुसलमान भूल गया है अगर क़ुरआन और अहलेबैत की बातों पर ग़ौर करे तो उसे शर्मिंदा ना होना पड़े । आज जितनी भी टेक्नोलॉजी है वो कही ना कही उसका ज़िक़्र इस्लामी विद्ववानों की किताबो और मौला अली की नहजुल बलाग़ा में मिलता है अगर इसे आज का मुसलमान उठा के पढ़े तो यक़ीनन बहुत फ़ायदा उठायेगा ।
आइये आज इस्लाम के स्याह (काले ) पहलू के अलावा भी इस्लाम के बारे में जानते हैं इस्लामिक साइंसदां जिन्होंने बहुत पहले उन चीज़ों क्व बारे में बता दिया जिसे आजका मॉडर्न साइंस स्वीकार करता है । ये हैं वो लोग देखे तस्वीरों में इस्लामिक गोल्डन पीरियड को
Good
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