ख़ुद के अंदर हज़ार कमी लेकर हमे रिश्ता "कस्टमाइज़" चाहिए।
* रिश्ते ख़ुदा की जानिब से बनाए जाते हैं या इंसान की तरफ से ?* रिश्ते इतने अज़ीम है कि जनाबे आदम अस. की ख़िलक़त के लगभग सौ साल बाद जनाबे हउवा अस. को अल्लाह ने ख़ल्क़ किया। उन्हें ज़मीन पर एक मक़सद के तहत उतारा उन्हें औलाद अता की और हुक़्म दिया इनका अक़्द करो जिससे तुम्हारी नस्ल परवान चढ़े। इसी तरह अहलेबैत अस के लिए भी जोड़े का इन्तेख़ाब किया। यहाँ तक कि कनीज़ों को भी अपनाया। आज दुनिया * कस्टमाइज़ रिश्ता* चाहती है ख़ुदा ने जो उनके लिए जोड़ा बनाया है वो नही, हला की बाद में उन्हें वही लड़की मिलती है जो उनके नसीब में रहती है। दुनियाभर की ख़ाक़ छानने के बाद वो लौट के अपनी असली सूरत में आजाते हैं। इंसान को अल्लाह ने अशरफुल मख़लूक़ात बनाया है, अक़्ल शऊर दिया, लेकिन इंसान आज जानवर से बदतर है। और क़ौम के मुक़ाबले शिया पर अमल का हक़ कुछ ज़्यादा है। ये दीन ए इस्लाम हमे ऐसे नही मिला और शीयत इतनी आसानी से नही बढ़ी है इसके लिए क़ुर्बनियाँ दी गयी। और उन क़ुर्बानियों से पहले अमल किया गया। किसी भी एक अम्बिया, ईमाम का नाम बता दें जी जिन्होंने ख़ुद के नाम के आगे *" सैय्यद "* लिखा हो ? अव्वलन लोगों को * सैय्यद...