जब चीन को ग़रीबी की वजह से 15 करोड़ डॉलर में अपना ख़रबूज़ा बेचना पड़ा


*15 करोड़ डॉलर के चीनी ख़रबूज़े के बारे में जानते हैं क्या ?*

आदिल ज़ैदी काविश ।
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और आने वाले समय में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था  बन जाएगा पर क्या आप जानते है चीन कभी ग़रीब हुआ करता था और जिसके पास 15 करोड़ डॉलर हर्जाना देने को नही था ?
आइये बताते है आपको इस *15 करोड़ डॉलर के चीनी ख़रबूज़े* के बारे में ।
इंग्लैंड अपना वर्चस्व बढ़ा रहा था और धीरे धीरे चीन में मे भी अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता था । चीन में साम्राज्यवाद की नींव "अफ़ीम युद्ध" से पड़ी ब्रिटिश वयापारी चीन से चाय,रेशम,आदि वस्तुएं ख़रीदते थे परन्तु चीन में ब्रिटिश वस्तुएं नही आ सकती थी । ब्रिटिश वयापारी चोरी छुपे चीन में भारी मात्रा में अफ़ीम लाते थे क्योंकि इससे उन्हें अधिक लाभ होता था । 1839 ई० में जब चीन सरकार के एक अधिकारी ने अफ़ीम की एक खेप पकड़ जे नष्ट कर दी तब ब्रिटेन ने युद्ध की घोषणा कर दी और आसानी से चीनियों को हारा दिया । इस विजय के कारण अंग्रेज़ो का चीन में प्रभुत्व स्थापित होगया । उन्हें हर्जाने के रूप में विशाल धनराशि मिली तथा पाँच बंदरगाहों द्वारा वयापार करने का अधिकार प्राप्त होगया इससे पहले चीन में विदेशियों के लिए केवल दो बंदरगाह ख़ुले थे । चीनी सरकार को इस बात के लिए भी सहमत होना पड़ा कि अंग्रेज़ो द्वारा किए अपराध के लिए चीनी न्यायालय सुनवाई नही कर सकेंगे । जब किसी देश को इस तरह का अधिकार प्राप्त होजाता है तो उसे "अतिरिक्त देशीय अधिकार कहते हैं" ।

अंग्रेज़ो से इस अपमानजनक हार के बाद चीन को एक और भी अपमान का सामना करना था । जापान और चीन दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था है और वक़्त की रफ़्तार से बहुत तेज़ है । कोरिया जो कभी चीन के क्षेत्र में हुआ करता था जापान द्वारा उसपर अपना दावा करने से युद्ध की स्तिथि उत्पन्न होगयी फिर आया वो दिन जब  जापान के हाथों हारने से चीन की क़मर टूट गयी और उसके पास हर्जाने की रकम देने तक का पैसा नही था । 1839 ई० में जब जापान ने चीन को हारा दिया और उसे अपमानजनक सन्धि के लिए मजबूर कर दिया चीन को हर्जाने के रूप में देने के लिए उस वक़्त 15 करोड़ डॉलर नही थे तब चार प्रमुख फ्रांस,रूस,जर्मनी और ब्रिटेन देश ने चीन की मदद की और बदले में चीन से उसके क्षेत्र को अपने अपने प्रभाव क्षेत्रों में बाँट लिया ये चार प्रमुख देश और उनका अधिकार चीनी क्षेत्रों पर इस प्रकार था ।
अ- जर्मनी का कियाओचि की खाड़ी पर अधिकार होगया तथा शानतुंग और हवांगहो कि घाटी पर एकाधिकार प्राप्त होगया

ब- फ्रांस का क्वांगचो की खाड़ी पर अधिकार होगया तथा चीन के तीन दक्षिणी प्रान्तों पर एकाधिकार प्राप्त होगया

स- रूस का लाइतुंग पर अधिकार होगया तथा उसे मंचूरिया मे रेल की पटरियाँ बिछाने का एकाधिकार प्राप्त होगया

द- ब्रिटेन का वेई-हे-वेई बंदरगाह पर अधिकार होगया तथा यांगत्सी की घाटी पर उसका एकाधिकार प्राप्त होगया ।
इतिहास में चीन का अनेक प्रभाव क्षेत्रों में बंटने की घटना को "चीनी ख़रबूज़े का काटा जाना" नाम से जाना जाता है ।

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