सब्र और अल्लाह का शुक्र अदा करने से मुसीबत भी नेमतों में बदल जाती है ।

शाहिद का मायूस चेहरा देख कर सना समझ गयी कि आज भी कही कोई नौकरी नही मिली । शाहिद एक कम्पनी में अकाउंटेंट थे कोरोना की वजह से नौकरी चली गयी थी और अब कोई नौकरी नही मिल रही थी 5 महीना होगया था घर बैठे हुवे । सना ने शाहिद के मायूस चेहरे से अंदाज़ा लगा लिया था कि आज ये कुछ ज़्यादा ही मायूस है और इस वक़्त कुछ कहना सही भी नही है । घर में खाने को कुछ नही था बच्चे रोज़ नए नए खाने की फ़रमाइश करते थे । जो बच्चे हमेशा लज़ीज़ खाना खाते थे आज वो दाल रोटी चावल खा रहे है धीरे धीरे वो सब भी ख़त्म होगया और अब तो कुछ भी नही था खाने को । सना एक पढ़ी लिखी और समझदार लड़की थी और लड़कियों की तरह अपना आपा खोने वाली और शौहर पर चीखने चिल्लाने वाली नही थी । वो जानती थी अगर इस वक़्त शौहर से कुछ कहा तो बात बिगड़ जाएगी या तो शाहिद डिप्रेशन के शिकार होजाएंगे या हमारे ताल्लुक़ात तल्ख़ होजायेंगे । एक ही दो दिन में घर में खाने के सारे समान ख़त्म होगए अब तो खाने के भी लाले आगए । सना ने सब्र से काम लिया दीनी और दुनियावी बातों से जो पढ़ा जो सीखा था अब उसे अमल करने का वक़्त था । अपने चेहरे पर बिना कोई शिकन लाए या घबराए शौहर और बच्चों के सामने पुरसुकून होकर बैठी रही । खाने का वक़्त होने वाला था ज़ोहर की नमाज़ के बाद ही सभी खाना खाते थे घर में कुछ नही था पर सना ने हिम्मत से काम लिया शौहर से कहा आज   कुछ भी नही है चटनी रोटी से गुज़ारा करना होगा शाहिद उदास होगए की अब कैसे बच्चों की परवरिश होगी कैसे खाने पीने और बाक़ी चीज़ों का इंतेज़ाम होगा । सना ने हौसला दिया और फ़रमाया आप उदास क्यों होते है अल्लाह ने फ़रमाया है मायूसी कुफ़्र है उदास मत होइये ।अल्लाह ने क़ुरआन ने पाक़ मे फ़रमाया है जब मुसीबत घेर ले तब दो रकात नमाज़ पढ़ के अल्लाह से दुआ करें और सब्र से काम ले अल्लाह मुसीबत को भी नेमत में बदल देगा । नमाज़ का वक़्त हुवा सब ने नमाज़ पढ़ी बच्चों ने खाने के लिए कहा सना ने कहा अभी खाना बन रहा है आज बहुत स्पेशल खाना है जो आप ने कभी नही खाया होगा । बच्चों ने पूछा अम्मी जान आज ऐसा क्या है सना ने बच्चों से कहा आज जो है वो कभी आप लोगो ने नही खाया होगा बड़े बड़े राजा महाराजा का वो खाना है बच्चों ने कहा अम्मी जान तो जल्दी से लगाइये बहुत तेज़ भूख लगी है । आख़िर ऐसी भी कौन सी राजा महाराजा वाली स्पेशल डिश आप बना रही है हम लोगो ने तो सब कुछ खाया है फिर ये क्या है । सना ने कहा खाने से पहले एक कहानी सुनो मेरे बच्चों फिर खाना लगाते हैं । सना को पता था जितनी ज़्यादा भुख लगेगी बच्चे कुछ भी खा लेंगे ।
अम्मी जान कहानी सुनाइये भूख अब बर्दाश्त नही होरही है । सना ने कहानी सुनाना शुरू किया : किसी राज्य में एक राजा रहता था उसके दस्तरख्वान पर दुनियाभर की ग़िज़ा रहती थी वो बस किसी एक ग़िज़ा को खाता था और बाक़ी का खाना बर्बाद होता था अल्लाह की नेमतों की ना क़दरी करता था बस खाना खाता था और सोता रहता था इससे राज्य की हालत ख़राब होने लगी थी । धीरे धीरे उसकी भूख जाती रही और फिर अचानक से भूख ही चली गयी सारे दरबारी परेशान राजा ने बिल्कुल भी खाना पीना छोड़ दिया था अब उसकी हालत ख़राब होने लगी । सारे राज्य में मुनादी करवा दी गयी जो भी राजा की भूख वापस लायेगा उसे मुँह मांगा ईनाम दिया जाएगा राज्य के सारे वैध हक़ीम सब लग गए कोई भी राजा की भुख वापस नही ला सका । राजा दुबलाने लगा उसकी हालत देख कर सभी परेशान होगए की अब क्या होगा तभी एक किसान दरबार में आया उसने कहा हम राजा की भूख को पहले की तरह कर सकते हैं सारे दरबारी वैध हक़ीम हँसने लगे कि जिस काम को बड़े बड़े वैध और हक़ीम नही कर सके वो एक किसान करेगा । किसान ने कहा मेरे साथ बस 5 दिन तक बस मेरे साथ रहे सब ने राय मशविरा करके किसान के साथ राजा को जाने दिया । राजा ने पहले ही दिन उस आलसी कामचोर राजा को अपने खेतों में काम पर लगा दिया पहले तो राजा बहुत गुस्सा हुआ कि एक किसान की ये हिम्मत वो एक राजा से काम करवाए फिर उसने सोचा किसान ने उसके ईलाज का वादा किया है अगर 5 दिन में ईलाज नही हुआ तो इसका सर क़लम कर लिया जाएगा । जिस राजा ने कभी कोई काम नही किया था अचानक से वो काम करने लगा तो उसे बहुत तेज़ भूख लगी अब मरता क्या ना करता वो इधर उधर दौड़ने लगा उसने देखा किसान अपनी पोटली खोल कर कुछ खा रहा है । राजा ने किसान से कहा उसे भी खाने को दे : किसान ने कहा आप हमेशा लज़ीज़ ग़िज़ा खाते रहे है खाने की बर्बादी करते रहे है आपके दस्तरख्वान पर तरह तरह के खाने की चीज़ सजती थी पर मेरे पास तो बस ये सुखी रोटी नमक और प्याज़ है और थोड़ी सी पिसी हुई चटनी । राजा ने कहा जो भी हो खाने को दो । किसान ने सुखी रोटी नमक और प्याज़ दिया साथ ही थोड़ी सी चटनी राजा को इतनी भूख लगी थी कि वो सारा खाना अकेला खा गया उसे जो स्वाद लगा आज तक उसने ऐसा खाना कभी नही खाया था उसे समझ आगया उसे कोई बीमारी नही है ये उसकी आलस और कामचोरी का असर है जो उसकी भूख चली गयी । अब राजा रोज़ मेहनत करता और रूखी सुखी चीज़े खाता जो भी किसान उसे देता धीरे धीरे 5 दिन मे राजा बिल्कुल सही होगया और उसने क़सम खाई की खाने की बर्बादी कभी नही करेगा । सना ने कहानी खत्म की सब भूख से परेशान थे सना ने रोटी नमक प्याज़ और चटनी को इस तरह से पेश किया जैसे कोई फाइव स्टार होटल की स्पेशल डिश हो । बच्चों के साथ साथ सना और शाहिद ने भी खाना खाया बच्चों को खाना इतना स्वादिष्ट लगा ऐसा खाना कभी नही खाया था फिर रोज़ इसी खाने की मांग होने लगी । सना रोज़ नमाज़ पढ़ती और अल्लाह की नेमत का शुक्र अदा करती सब्र और शुक्र से अल्लाह ने रिज़्क़ के दरवाज़े खोल दिए । उस कॉलोनी में रहने वाले पैसे वाले नाममात्र के मुसलमान के बच्चे जिन्हें ना क़ुरआन का इल्म था न इस्लाम का । माँ बाप को ये फ़िक़्र सताती थी कि इन्हें अगर दीनी तालीम नही मिली तो मरने के बाद ये हमारा फातेहा कैसे पढ़ेंगे कैसे बख़्शिश होगी हमारी इसी फ़िक़्र में उन्हें पता चला कि सामने वाले घर में एक आलिमा रहती है । कॉलोनी के लोगो ने अपने बच्चों को वहाँ भेजना शुरू किया सना के अख़लाक़ और नेक दिली से सब बच्चों को इस्लाम की तालीम हासिल करने का जज़्बा पैदा हुआ धीरे धीरे सब बच्चे आने लगे अब घर के हालात अल्लाह की नेमत से सुधरने लगे थे । सभी अमीर घर के बच्चे थे जिनका अपना क़ारोबार था । सना ने सभी से अपने शौहर की नौकरी के लिए कह रखा था बच्चों ने अपने घरों में कहा कि हमारी टीचर के शौहर किसी कम्पनी में  अकाउंटेंट की नौकरी करते थे नौकरी चली गयी है अब उन्हें नौकरी की ज़रूरत है । बच्चों की फ़रमाइश पर शाहिद को भी नौकरी मिल गयी अब दोनों हँसी ख़ुशी से रहने लगे । सना की समझदारी और सब्र ने उन्हें वो सब अता कर दिया जो पहले नही था । आज सना का दीनी तालीम का मदरसा होगया और शाहिद का भी प्रोमोशन होकर मैनेजर बना दिया गया पर वो आज भी हफ़्ते में चटनी रोटी खाते और अल्लाह का हर वक़्त शुक्र करते । इस तरह सब्र और शुक्र से अल्लाह ने मुसीबत को भी नेमतों में बदल दिया । अल्लाह रिज़्क़ देने वाला है फिर फ़िक़्र कैसी । अगर ज़ौजा समझदार और पढ़ी लिखी होगी तो वो मुसीबत को भी नेमत में बदल देगी । हर लड़की को इस बात से इबरत हासिल करनी चाहिए और अल्लाह पर भरोसा करके सब काम करना चाहिए अल्लाह कब कहाँ से कैसे रिज़्क़ अता करदे कोई नही जानता । ये होता है पढ़ा लिखा होने का फ़ायदा ।

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