अपनी रियाकारी से अज़ादारी की अज़मत ख़त्म कर ही दी । अल्लाह की नाराज़गी का सबब बन गयी तुम्हारी रियाकारी 😔

मुहर्रम यू तो ये ग़म का महीना होता है पर कुछ शिया इसे राजनीति का अड्डा बना दिये है  चंदा लेने की होड़ और आधुनिकता दिखाने में ये मजलिस, जुलूस , इमामबाड़ों, मस्जिदों का अहतराम भूल जाते हैं भूल जाते है कि ये वो दर है जहाँ इंसान का ज़ेहन भी गंदा नही जा सकता वहाँ ऐसे ऐसे लोगो को लेकर पहुँच जाते है जो ना पेशाब कर इस्तानजा करता हो ना उसे अहतराम हो कि ये कौन सी जगह है ।
चंदा लेने वाले और देने वाले दोनों सिर्फ अपने फायदे के लिए ये कार्य करते हैं उन्हें इससे क्या लेना देना की अज़मत ए अज़ा क्या है क्या अल्लाह और शहज़ादी (स) इनके इस बेहूदा अमल को क़ुबूल करेंगी जिसे मन हो स्टेज पर चढ़ा लो जिसे मन हो रौज़े में घुसा लो सिर्फ इसलिए कि आपको वो चंदा देता है इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि वो कौन सी जगह है उस जगह की अज़मत कितनी है इससे कोई मतलब नही बस हमे अपने आपको अच्छा दिखाना है । क्या फ़ायदा है यार दुनिया ज़माने से चंदा लेने का ख़ुलूस ए दिल से आप छोटे से छोटा एहतमाम करें अल्लाह उसे क़ुबूल करेगा पर दिखावे की ईबादत और अज़ादारी से सिर्फ तुम अज़ीयत पहुंचा रहे हो ज़रूरी नही है मस्जिद इमामबाड़ों को इतना सजाने की ।
आज कल एक नया चलन चला है शाम ए ग़रीबा की याद में शब ए दारी करके इमामबाड़ों को दुल्हन की तरह सजा देना क्या आप ग़म मना रहे हो अज़ादारी कर रहे हो कोई फंक्शन नही ये सिर्फ दिखावे की अज़ादारी है जिसमे रियाकारी है ज़ाहिर सी बात है जितना ताम झाम दिखायेंगे उतना ज़्यादा अगली बार चंदा उठायेंगे भले 5 लाख चंदा आये 2 लाख खर्चा करें कोई हिसाब किताब नही पूछने वाला है और ये शब ए दारी, जुलूस, मजलिस,के नाम पर लोगो ने अच्छा धंधा बना दिया है ये कौन सी अज़ादारी है ये कौन सा ग़म है मत कहो कि शाम ए ग़रीबा की याद में शब ए दारी करते हो मजलिस, जुलूस करते हो दुनिया क़ुबूल कर लेगी पर शाहज़ादी नही ऐसा करके हम सिर्फ़ अज़ीयत देते है अपने मौला को । आप सादगी से करें खुलूस से करे कोई ज़रूरत नही है ज़्यादा इन्तेज़ाम करने का उसे ही सब क़ुबूल कर लेंगे पर अज़ादारी के नाम पर राजनीति बन्द करदो ये जो धंधा बना लिया है ना चंदा लेने का फोटो खिंचाने का फलनवा को ढिकनवा को बुलाने का ये अज़ादारी नही है ये सिर्फ़ ओ सिर्फ रियाकारी है ।
चंदा देने वाले और किसी प्रोग्राम में ताऊन करने वाले जब तक अपना 10 बार माइक से नाम ना बुलवा ले और दुनिया भर में चर्चा ना करले वहाँ से हटेंगे नही जहाँ प्रोग्राम होगा उस मंच पर  खड़े रहेंगे की लोग समझे ये क़ौम के ख़ास आदमी है VIP है लगता है मोटी रकम दी है  पैसे वाले है । पहले की अज़ादारी और अब की अज़ादारी में बहुत फ़र्क है अब कुछ लोगो ने इसे धन्धा बना लिया है राजनीति का अड्डा बना लिया है दुनिया भर की कमेटियों का गठन करेंगे भले किसी प्रोग्राम में 1 ₹ का सहयोग ना करे ना शासन प्रशासन से उन्हें किसी प्रकार की सहायता दिलवाये पर हर 10 मिनट पर ऐलान करवायेंगे फलनवा साहब , फला कमेटी के अध्यक्ष , दिन में 10 बार फेसबुक व्हाट्सएप्प पर पोस्ट करेंगे दूसरे दिन के न्यूज़ पेपर में नाम देखेंगे कैमरामैन के आगे खड़े होकर फ़ोटो खींचा कर धीरे से निकल लेंगे उन्हें इस बात से कोई मतलब नही की क्या होरहा है क्या नही हाँ दूसरे दिन नाम फ़ोटो आना चाहिए वरना क़ौम ख़तरे में आजायेगी फिर यही लोग राजनीति करेंगे ये सारा खेल पैसे का है राजनीति पार्टियों के पास जायेंगे और कहेंगे अरे हुज़ूर इतना दिजीये 10 हज़ार वोट मेरी क़ौम का आपको ही दिया जायेगा अरे पिछली बार फलां जगह आपने नही देखा था उस जुलूस,शब ए दारी में कितना मजमा था अरे आपको तो हमारी पूरी क़ौम जान गयी सब पूछ रहे थे ये चाचा, भइया, नेता, ऑफिसर, कौन है देखा आपको एक बार मे ही इतनी शोहरत और पहचान दिलवा दी इस बार थोड़ा ज़्यादा चंदा दीजियेगा तो और बड़ा आयोजन करवाकर आपको सम्मानित करवाएंगे इस बार पक्का आप ही जीतेंगे इलेक्शन में हमारी क़ौम का वोट आपको ही मिलेगा लाइये कुछ ख़र्चा पानी दीजिये जो अपने घर का भी वोट ना दिलवा सकें वो पूरे समाज का ठीका ले लेता है ये तो हर क़ौम में होरहा है मंदिर, मस्जिद, जलसा, जुलूस, कीर्तन, प्रवचन, के नाम पर लूट मचाये हुवे है पर मुझे सिर्फ़ अपने लोगो को देखना है जो अज़ादारी के नाम पर राजनीति कर रहे है और पैसे के लिए अपना ईमान बेच रहे हैं अज़मत ए अज़ादारी को पामाल कर रहे हैं हम इमाम (अ)  और शहज़ादी (स) को पुरसा देने की जगह और अज़ीयत दे रहे है ऐसा अमल करके वक़्त रहते सुधर जाओ वरना क़ौम ए लूट, क़ौम ए समूद, क़ौम ए नूह वाला हश्र होगा और इस अहज़ाब के ज़िम्मेदार हम ख़ुद होंगे ।
पैसा कमाने के बहुत सारे तरीके है पर अज़ादारी के नाम पर ऐसा करने वालो को बख्शा नही जायेगा वक़्त रहते नही सुधरे तो सुधरना पड़ेगा । क्या फ़र्क रह जायेगा तुम में और दूसरे लोगो में किसी को बुलाना गलत नही पर सही जगह पर गलत लोगो को बुलाना और उन पाकीज़ा मुक़ाम की अज़मत को ना समझना ये गलत है हर क़ौम आये हर लोग आये कोई बात नही पर आपका इरादा नेक होना चाहिये आप बुलाइये पर उन जगहों पर नही जहाँ ग़ुस्ल ओ तहारत से लोग आते है वहाँ नजासत मत फैलाओ याद रखना अल्लाह सब देख रहा है और अल्लाह तो नियत का भी अज्र अता करता है बस ये सोचो ये हमारा मक़सद है ये हमारी बक़ा है ये हमारी इज़्ज़त,शान ओ शौक़त है जिस अज़ादारी से तुम्हारी पहचान है उसके साथ तो रियाकारी और राजनीति ना करो हो सकें तो ख़ुलूस ए दिल से अज़ादारी करो वरना पूरे साल तुम करते रहो कोई फ़ायदा नही दिल में अल्लाह का ख़ौफ़ होना चाहिए और ख़ालिस नियत होनी चाहिए अज़ादारी हमारी पहचान है बराए मेहरबानी क़ौम को रुसवा और अज़ादारी को पामाल ना करें 

नोट : इस पोस्ट को पिछले साल लिखा गया था । आज हालात को देखते हुवे फिर से इसे मन्ज़र ए आम पर रख रहे हैं ।

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