गधों की फैक्ट्री लगाने के लिए कोचिंग संस्थानों से सम्पर्क करें
शिक्षा एक ऐसा शब्द है जिसको सुनते ही शिष्टाचार,आचरण, व्यवहार, कॉपी क़िताब मस्तिष्क में दौड़ने लगता है। शिक्षा तब तक कारगर नही है जब तक उसे किसी संस्था से मान्यता ना मिले इसी काग़ज़ी मान्यता प्राप्त करने के लिए हम लाखों करोड़ों ख़र्च कर देते हैं। रॉकेट साइंस, रोबोटिक साइंस पढ़ने की जगह हम रोबोटिक टीचरों के भरोसे हैं। माना कि मार्गदर्शक ज़रूरी है पर इसका मतलब ये नही हम अपनी अक़्ल ही ना लगाएं और सीधा कोचिंगों के भरोसे ही रह जाएं। आईआईटी और नीट की तैयारी करने वाले छात्र छात्राएं लाखों ख़र्च करती हैं उन्हें पढ़ाने वाली कोचिंग संस्थान करोड़ों ख़र्च करती हैं। कोचिंग पढ़ने के बाद आप अगर किसी कॉलेज में एडमिशन लेने जायेंगे अगर वैसा मार्गदर्शक आपको नही मिला तो क्या आप पढ़ना छोड़ देंगे ? नही ना कॉलेज में जाने पर आप अपनी अक़्ल काशत प्रतिशत उपयोग करेंगे पर उसी कॉलेज में आने के लिए लाखों करोड़ों ख़र्च करेंगे। अब आप बताइये आपकी वैल्यू कॉलेज की पढ़ाई से होगी या उन कोचिंग संस्थानों से जिसके लिए आप लाखों ख़र्च कर रहे हैं। आपको मान्यता कोचिंग नही कॉलेज ही देगा वैश्विक परिदृश्य आपका कॉलेज ही आपके लिए बनायेगा आप कोचिंग से नही कॉलेजों से जाने जाते हैं। हम आकाश से पढ़े या ब्यजुस से हमारी पहचान तो एक मान्यता प्राप्त संस्था से ही होगी फिर ये कोचिंग में लाखों करोड़ों ख़र्च करके ख़ुद को मानसिक तनाव देना कहाँ तक उचित है ? हर साल आईआईटी नीट की तैयारी करने वाले कोटा फैक्ट्री में मुखौटा तैयार होने वाले छात्र आत्म हत्या करते हैं। वजह ये है कि वो पूरी तरह से कोचिंग पर निर्भर होजाते हैं आइंस्टीन का आईक्यु लेवल 162 था जो दुनिया में मात्र दस प्रतिशत लोगों का अब तक रहा है पर क्या उन लोगों ने कोचिंग की ? नही ख़ुद से इस क़ाबिल बने क्योंकि उन्होंने अपनी अक़्ल का इस्तेमाल किया किसी पर निर्भर नही हुवे। निर्भरता ही आपको हराती है हमारे मस्तिष्क का आकार उसमे पाई जाने वाली ख़ूबियाँ आइंस्टीन जितनी ही है बस अपने ख़ुद को दूसरे पर निर्भर कर दिया है। अगर इस कोचिंगों के मायाजाल से ना निकले तो हमारी आने वाली पीढ़ी दिशाहीन होजाएगी। कोचिंग संस्थानों करोड़ो अरबो कमा रहे हैं वो आपको रोबोट बना रहे हैं एक रट्टू रोबोट जितनी प्रोग्रामिंग आप करेंगे उतना ही वो काम करेगा वैसा ही कोचिंग वाले आपको बना रहे हैं।
आप किसी स्कूल में पढ़ रहे हैं पढ़ने में बहुत अच्छे हैं पर आपकी सर मैडम यही कहेंगे तुम्हारा पढ़ाई में मन नही लगता आपके दिमाग़ में ये बात बैठा देंगे कि इस विषय में आप फेल होजाओगे इसकी कोचिंग करो और आप डर के मारे कोचिंग करना शुरू कर देते हैं नतीजा आप फलां सर-मैडम के क्लास में पास होजाते हैं। जितने भी स्कूल कॉलेज हैं सभी के टीचर अपने विद्यार्थियों को कोचिंग ट्यूशन के लिए कहते हैं जो करता है वो पास होजाता है जो नही करता वो फेल। अब आप बताइये क्या गारण्टी है कि आपने कोचिंग करके दक्षता हासिल की है आपने जिस विषय की कोचिंग की क्या उसमे आप निपुण हुवे ? क्या सच में आपका ज्ञान आपका स्कोर आपकी क़ाबिलियत से ही बढ़ा है या सर-मैडम के रहमो करम से ?
कैसे जज करेंगे ख़ुद को आप की कोचिंग से आपका ज्ञान बढ़ा। आज सभी स्कूल कॉलेज में ये डर पैदा किया जा रहा है जिस विषय में आपको डर लगता है उसकी कोचिंग या ट्यूशन स्कूल-कॉलेज के उसी सर-मैडम से करें वरना आप फेल होजायेंगे और आप करने भी लगते हैं। ये फेल का डर आपके हुनर आपकी क़ाबिलियत को ख़त्म कर देता है मार्गदर्शक ज़रूरी है पर आत्मनिर्भरता नही आप अपना मूल्यांकन नही कर पाते सही ग़लत का फ़ैसला नही कर पाते कोचिंग वाले सर-मैडम आपको एप्रिशिएट करते रहते हैं क्यों---- क्योंकि आप उनकी कोचिंग-ट्यूशन में जाते हैं और आपको लगता है आप क़ाबिल बन रहे हैं बल्कि क़ाबिल बनने की जगह आप अपना हुनर ख़ुद ख़त्म कर रहे हैं।
अभी हाल में न्यूज़पेपर में मे पढ़ा एक युट्यूबर टीचर को किसी कोचिंग संस्था ने सलाना पाँच करोड़ का ऑफर दिया। मतलब महीने के लाखों रुपये किसी टॉप यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर से भी ज़्यादा पैसा। अब आप ख़ुद अंदाज़ा लगाइये जो कोचिंग संस्थान एक टीचर को इतना ऑफर करती है उसके सभी टीचर्स, स्टॉफ, एडवरटाइजमेंट, और अन्य सुविधा का कितना ख़र्च होगा ? आंकड़ा करोड़ो अरबों में है तो आप कैसे कह सकते हैं ये बड़ी बड़ी कोचिंग आपको हुनरमंद आपको क़ाबिल बना रही है। बिल्कुल नही ये आपको दुनिया की रेस का लंगड़ा घोड़ा बना रही है जब तक घोड़ा खड़ा है बहुत अच्छा है पर जैसे ही रेस में उतरता हौ उसकी असलीयत सामने आजाती है। यही वजह है आज छोटी उम्र में ही इतना मानसिक तनाव पैदा होजाता है कि छात्र आत्म हत्या कर लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है वो फेल होगये है माँ बाप ने बड़ी उम्मीदों से कोचिंग करवाई पर वो पढ़ नही सकें। जबकि कोचिंग वाले वही चीज़ आपको पढ़ायेंगे जो आप जानते हैं । ऐसा है नही की आपको ज्ञान घोल कर पिला देंगे। अगर आप ABCD नही जानते हैं तो बड़ी से बड़ी अंग्रेज़ी क्लास जॉइन कर लीजिए आप अंग्रेज़ी नही बोल सकते। जब तक आप नही चाहेंगे क्योंकि सब आप पर ही है आप अपने दिमाग़ अपनी क़ाबिलियत का कितना इस्तेमाल करते हैं। 21 दिन किसी भी काम को करने से वो हमारी आदत में शुमार होजाता है। अगर आपको क़ाबिल बनना है तो स्वंय पढ़ाई करें अपना मूल्यांकन ख़ुद करें देखे कितना सीखा है कितना और सीखने की ज़रूरत है। दुनिया की कोई भी कोचिंग आपको आपसे अच्छा नही पढ़ा सकती है।
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