अबे पार्टी कार्यालय नही, मीडियाकार्यालय चलो टिकट वहीं कंफर्म होगा
नेता जी दौड़ते भागते एकदमे हंफ़ियाते हुवे न्यूज़ चैनल के दफ़्तर में पहुंचते हैं और पहुँचते ही फाइल इधर से उधर करना शुरू कर देते हैं।
सभी कर्मचारी भौचक्के एकदम शेरबहादुर लकड़बग्घा की तरह खड़े काना फूसी करने लगते हैं। का बे पिन्टूवा तै साले तू कुछ ना चेप दिए नेता जी के ख़िलाफ़। नाही बे हम तो कुछ ना लिखे है विनोदवा से पूछ उ साला कुछ भी रेलमपेल लिख डालत है।
अबे, अबे, अबे सुनबे बुजरो के , तै तो कुछ ना लिखे है नेतवा के ख़िलाफ़। नही बे हम लिखे हैं।
पक्का संपादक जी लिखे होइए देख कुकुर की नाई मुँह चियार के कैसे खड़े हैं।
ऐ साहेब, ऐ साहेब, अबे कपिलवा सुनबे, क्या कहा तुमने मुझे, सॉरी कपिल सर मुँह से एकदम अचानक निकल गया मेरी ज़बान फिसल गई मेरा टेलीप्रॉम्प्टर ख़राब होगया। कपिल सर इस पूरे ऑफिस में आपसे ज़्यादा होनहार क़ाबिल ऊर्जावान कोई नही है ज़रूर आपने ही नेता जी के किसी कारनामे की पोल खोली होगी। अबे धीरे बोलो यार तुम तो मरवाने पर तुले हुवे हो मुझे, अंदर की बात बताए, हमे लिखना नही आता तुम्ही लोगों के लेख को अपना नाम लगा कर चेप देते हैं,, प्लीज़ यार बुरा मत मानना, भूतनी के तुम्ही हमारा आलेख गटक जाते थे तभी सोचे हर्फ़ बाहर्फ़ मिलता जुलता आलेख सर कैसे लिख लिए।
अबे अब शांत होजाओ इस बवंडर से पूछे आख़िर ये छुट्टा सांड इधर कैसे आया।
अरे नेता जी सब कुशल मंगल है ना आज अचानक से हमारे ऑफिस में आते ही तांडव मचाने लगे ,क्या लौंडो ने कुछ उल्टा सीधा छाप दिया या किसी कार्य पर आपके उंगली उठा दी।
अरे नही यार तुम तो जानते ही हो विधानसभा चुनाव आरहा है और पार्टी के प्रत्याशी की सूची नेताओं के पास आने से पहले मीडिया वालों के पास आजाती है सोचा पार्टी कार्यालय का चक्कर लगा कर किश्तों में खुदकुशी कौन करें चल कर सीधा मीडिया कार्यालय पर ही पता कर लेते हैं।
अच्छा ये बताओ कौन कौन सी पार्टी का विकेट गिरने वाला है , कौन कौन पार्टी बदल रहा है।
अरे सर अब हमें क्या पता, अरे बेटा तुमको सब पता है अब बताओ, ऐ वहां खड़े होकर टुकुर टुकुर मेरा थोपड़ा क्या देख रहे हो लाओ मिठाई वाला डिब्बा दो मुँह मीठा करवाओ, नेता जी ने अपने पीए से कहा। देता हूँ सर। ये लीजिये ,नोटों से भरा मिठाई का डब्बा, धीरे से उसे संपादकीय कार्यालय के कपिल सब मेज़ के नीचे छुपाते हुवे और अपनी टूटी हुई बत्तीसी दिखाते हुवे, हिहि इसकी क्या ज़रूरत थी।
अब बताओ कौन कौन किधर पाला बदल रहा है और किसको टिकट मिल रहा है। साहब आपकी पार्टी वाले इस बार आपकी सीट से उ कल्लुवा को लड़ाने की सोच रहे हैं। और जो अपने ठाकुर साहब जी है ना वो तो सपा का दामन पकड़ के लटक चुके हैं, धीरे से कान में कहते हुवे, क्या बात कर रहे हो नेता जी और सपा में वो तो पक्के अहीर विरोधी है, समाजवादी विचारधारा के विपरीत है वो कैसे जा सकते हैं। अरे साहब इस बार उनका टिकट काट रही है पार्टी, अंदर की ख़बर है एक दो दिन मे देखना औपचारिक घोषणा होजाएगी। अच्छा वो अपने खान साहब का क्या हाल है, अरे वो तो भाजपा के उम्मीदवार घोषित होने वाले हैं। अबे क्या बात करते हो, नेता जी उचक कर कुर्सी पर दोनों पैर करके बैठते हुवे। हाँ खां साहब भाजपा के आदमी है नही पता क्या, अरे वो तो भाजपा विरोधी है दिनरात भाजपा को कोसते रहते हैं वो कैसे भाजपा में जा सकते हैं। अरे साहब भाजपा में वो जाएं या भाजपा उनमे आए क्या फ़र्क़ पड़ता है, कान इधर से पकड़ो या उधर से बात तो एक ही है। मतलब खां साहब , हाँ भाई हाँ खां साहब भाजपा के आदमी है और ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगाए हुवे है हर प्रत्याशी को जिताने के लिए। वो तो पार्टी के मुख्य सिपाही है, अरे साहब अब सिपाही क्या और चौकीदार क्या सब एक है सभी को जन सेवा करनी है इस पार्टी से नही तो उस पार्टी से पर जनसेवा ज़रूरी है सारे घर खानदान को टिकट दिलवा के जनसेवा करनी है बिल्कुल पोलियोग्रस्त रोगियों की तरह पूरे परिवार को राजनीति टिकट का ड्राप पिलवा रहे हैं एक भी बच्चा छूट ना जाए सब टिकट पाए। हाँ टिकट से याद आया आपके बेटे का क्या हुआ। पार्टी ने टिकट देने से मना कर दिया अब देखते हैं उस सीट से किस पार्टी ने अपना उम्मीदवार नही उतारा है तब उसी की सदस्यता ले ले, भाजपा ने अभी उस सीट से उम्मीदवार नही उतारा है
तब तो उसी की सदस्यता ले लेते हैं बोल देंगे मोदी योगी की नीतियों से प्रभावित होकर मैंने भाजपा की सदस्यता ली है।
अरे भाई हमे भी तो जनसेवा करनी है। पर नेता जी आप तो गाँधीवादी विचारधारा से है आप भाजपा में जायेंगे, आपके इतने सारे भाजपा विरोधी बयान है जनता क्या कहेगी, अरे जनता को घण्टा नही फ़र्क़ पड़ता है, दो चार लुभानी बाटे, जातिगत भेदभाव, थोड़ा सा इमोशनल होजाना है बस जनता को लगेगा जनता उनके हक़ की लड़ाई लड़ने आए हैं उनका उदार करने आए हैं। आजतक किसी पार्टी ने किसी जाति के नेता ने अपनी जाति का अपने लोगों का, जनता का विकास किया है उनका कल्याण किया है जो हम उनका कल्याण करें। देखो जनता बेवकूफ बनाने की चीज़ है उसे धर्म, जाति, नौकरी, बेरोज़गारी भत्ता, लैपटॉप, मोबाइल आदि का लॉलीपॉप देते रहो। हिन्दू के एरिया में हो तो मुस्लिम विरोधी बात उछाल दो मुस्लिम के एरिया में हो तो हिन्दू विरोधी, जनता गदगद होजाएगी। कहाँ जनता को शिक्षा, चिकित्सा चाहिए उसे तो बस मस्जिद, मन्दिर, अपनी जाति, ऊँची जाति, नीची जाति, हिन्दू मुस्लिम का ही मुद्दा चाहिए। देखो हम आठवीं फेल है पर हैं देश के शिक्षा मंत्री, जनता को इससे थोड़ी ना मतलब की शिक्षा मंत्री पढ़ा लिखा हो, स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हो, गृहमंत्री आईएएस हो, विदेश मंत्री शिक्षित हो, वित्तमंत्री सीए हो। भाई जिस दिन जनता ऐसा सोचने लगेगी हमारी दुकान बंद होजाएगी इसीलिए जनता को मंदिर मस्जिद हिन्दू मुस्लिम जातिवाद में उलझे रहने दो इसीलिए ऊलजलूल बयान दिया जाता है ताकि जनता का ध्यान इस ओर जाए ही नही वरना क्रमवार शिक्षित मंत्री बनने लगे जिसकी जो योग्यता वैसा वो मंत्री तो हमारी दुकान कैसे चलेगी और तुम्हारी ब्रेकिंग न्यूज़ कैसे दिखेगी। जनता जाहिल है उसे जाहिल रहने दो और हाँ ये सब न्यूज़ पर मत दिखा देना ना अख़बार में छाप देना समझे। अच्छा सुनो दूसरी सूची आते ही सूचना देना और कौन किस तरफ पाला बदल रहा है बताते रहना ,अच्छा अब हम चलते हैं। इतना कहकर नेता जी निकल लिए मीडिया कार्यालय के लोग गुटर गूँ करते रहे नेता जी और संपादक जी मे क्या बाटे हुई और संपादक जी अपनी मिठाई लिए देखते रहे , नेता जी लिस्ट लिए मुस्कुराते चले जा रहे थे और सोच रहे थे जनता को बेवकूफ बनाना कितना आसान है, पर आज असलियत बक आए कहीं ससुरा छाप ना दे, ओये पीए के बच्चे मिठाई का एक डिब्बा और भेजवा देना समझे ताकि उसका मुँह बन्द रहे, जी सर जी सर।
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