UAE ले लो UAE, पूरा "संयुक्त अरब अमीरात" मात्र साठ लाख डॉलर का

यूएई के नाम लेते ही हमारे दिमाग़ में गगनचुंबी इमारतें, चमचमाती सड़के नवीन प्रौधोगिकी (टेक्नोलॉजी) से सुसज्जित समान अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कार, होटल,मॉल। अगर फैंटेसी की दुनिया को हक़ीक़त में देखना हो तो यूएई चले आए। सात प्रान्तों से मिल कर बना है यूएई। दुबई,अबुधाबी, शारजाह, अजमान,उम्म-अल-कहवां,फ़ुजैरिहा, रस-al-ख़ैमा!!
सात अमीरातों यानी शेखों के मालिकाना हक़ वाले राज्य को मिला कर बना यूएई जिसकी जनसंख्या  9282000 है जिसका क्षेत्रफल 98648 किलोमीटर का है। यूएई अपनी खासियतों के लिए जाना जाता है, यूएई के दुबई शहर में दुनिया की सबसे ऊँची इमारत है जो आसमानों से बातें करती है बुर्ज़ ख़लीफ़ा बिल्डिंग दुनिया की सबसे ऊँची बिल्डिंग है। सुनने में जितना आसान लगता है बुर्ज़ ख़लीफ़ा को बनाना उतना ही कठिन था। हवा में झूलती इमारत को प्रकृति आपदा से बचाना सबसे बड़ी चुनौती थी ख़ासकर भूकम्प के झटकों से। ऐसी नवीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया जो बिल्डिंग को आठ से दस डिग्री तक हवा में झूला सकती है पर उसपर हवा और भूकम्प का असर नही होगा। इतना ही नही बुर्ज़ ख़लीफ़ा को बनाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती थी उसे ठंडा रखना जिसके लिए अगर कूलिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता तो बिल्डिंग बनाने से ज़्यादा लागत आती साथ ही पूरे यूएई की ऊर्जा ज़रूरत का पूरा हिस्सा ख़र्च होता। बिल्डिंग तो बना दी अब चुनौती थी उसे ठंडा रखने की तब बुर्ज़ ख़लीफ़ा के काम को छह महीने तक रोक दिया गया और बहुत शोध के बाद ऐसी खिड़कियों का निर्माण किया गया जिसे विशेष प्रकार के मेटल से तैयार किया गया था जो ऊर्जा की  ख़पत को कम करता था और बिल्डिंग को ठंडा रख सकता था जिस कारण बिल्डिंग की लागत दोगुनी होगयी थी। एक खिड़की लगभग एक लाख तीस हज़ार की बनी और ऐसी क़रीब 60 लाख से ज़्यादा खिड़की लगी है। अजूबों का देश कहना यूएई को ग़लत नही होगा, यूएई अपने नागरिकों के लिए अंटार्कटिका से दो बर्फ़ के दो बड़े पहाड़ मंगा कर स्वच्छ पेयजल आपूर्ति कर रहा है क्योंकि वहाँ समुंदर है जिस कारण मीठा पानी उपलब्ध करवाना सम्भव नही था इसीलिए अंटार्कटिका से दो ग्लेशियर ख़रीद का यूएई लाया गया और वहां से अब उसे स्वच्छ पानी में बदल कर आपूर्ति की जा रही है जिसकी लागत भारतीय रुपए में 332 करोड़ आयी है, इतना तो यहां के सांसद विधायक की यात्राओं पर ख़र्च हो जाते हैं। 


कैसे बसा संयुक्त अरब अमीरात यूएई ?

भारत कृषि प्रधान देश है यहां की संप्रदा कृषि है यहां हवा पानी जल जंतु सब है हर शहर का अलग मौसम है प्रकृति के हर मौसम का मज़ा यहां लिया जा सकता है पर संयुक्त अरब अमीरात में ऐसा नही है वहां रेत ही रेत है,जिस यूएई को आप आज इतना सुन्दर देख रहे हैं वो पहले ऐसा नही था चटियल मैदान था, ऊँट चराना, मोती निकालना, इनका पेशा था तेल की खोज होने से पहले यूएई भी एक बद्दू अरब देश था।
क्या आप जानते हैं ? पूरे यूएई की क़ीमत मात्र पंद्रह करोड़ चार लाख अस्सी हज़ार है! (15,04,80000)

जी हाँ यही क़ीमत है पूरे यूएई की चौंक गए ना आप, उस समय यही भारतीय क़ीमत थी UAE की।
 बात उन दिनों की है जब ब्रिटिश साम्राज्य था एक बार ब्रिटिश सरकार का एक जहाज़ यूएई से गुज़र रहा था जिसे वहां के अरबों ले लूट लिया था इस बात का पता चलने पर ब्रिटिश सरकार ने अपनी फौज दुबई भेजी वहां का अरब लुटेरों से अपना जहाज़ छुड़ाया और अरब के इस देश पर कब्ज़ा कर लिया। पर यहां ब्रिटिश सरकार को कोई फ़ायदा नही दिखा तम्बू में रहने वाले अरब दूर दूर तक रेगिस्तानी मैदान ना भारत जैसी हरियाली थी ना यहां जैसा व्यापारिक अवसर अंग्रेज़ों को लगा ये बस एक रेगिस्तानी जंगल है यहां ना हरियाली है ना किसी तरह का कोई अवसर समुन्द्र की तरफ ध्यान ही नही गया कि उससे अवसर पैदा किया जा सकता है। वहां के लोगों का पेशा ऊँट, चराना, ऊँट बेचना,मोती बेचना और जहाज़ चलाना था। आज जहां गगनचुंबी इमारतें हैं वहां पहले कटीले जंगल और रेगिस्तान थे यही कोई 1943 के आसपास का वाक़्या है। जब अंग्रेजों को लगा ये 98648 किलोमीटर वाला आज का यूएई कल का रेगिस्तान उनके किसी काम का नही है तो उसे बेचने की पेशकश की सभी देशों ने हाथ खड़े कर दिए कि भला इस रेगिस्तान में उसे क्या हासिल होगा। भारत को भी प्रस्ताव दिया गया इसे ख़रीदने का पर भारत ने इनकार कर दिया कि इस रेगिस्तान को ख़रीदने का क्या फ़ायदा है। ये बात है 1960 कि आज के UAE की क़ीमत उस समय साथ लाख डॉलर तय की गई। कोई आगे नही आरहा था इसे ख़रीदने तब शेख़ सुल्तान अल नहयान ने इसे स्वयं ख़रीदने की पेशकश की। ब्रिटिश सरकार  से साथ लाख डॉलर में इस अरब देश का समझौता होगया। शेख नहयान की दूरदर्शी सोच से संयुक्त अरब एमिरात ने समुंदर के व्यापार में फ़ायदा देखा और समुंदर किनारे अपना बंदरगाह स्थापित कर दिया जिससे उसे अच्छी आमदनी होने लगी फिर 1971 तक तेल की खोज होने से कल का बद्दू देश आज क्व संपन्न देश बन चुका था शेख़ नहयान के दूरदर्शी बेटे शेख़ ज़्याद सुल्तान अल नहयान ने यूएई को एक नया आयाम दिया। सभी प्रान्तों को एक करके 2004 में उसके प्रेसिडेंट बने फिर धीरे धीरे यूएई की तक़दीर बदलती रही। कल का साथ लाख डॉलर का दुबई आज 1.5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी वाला देश बन गया है। 
अगर हुक्मरान आलिम और दूरदर्शी हो तो वो रेगिस्तान को भी हराभरा कर सकते हैं अगर हुक्मरान की सोच जाति धर्म के बंधन में बसी हो तो वो हरे भरे सम्पन्न देश को भी बर्बाद कर सकते हैं। यूएई से सीखना चाहिए तरक़्क़ी कैसे करते हैं और आगे कैसे बढ़ते हैं। आज यूएई में वो सब चीज़े मौजूद है जिसकी कल्पना मात्र हम कर सकते थे आश्चर्य और अजूबों से भरा देश है संयुक्त अरब अमीरात।

Comments

Popular posts from this blog

IMAM ZAMANA A.S KI ZAHOOR KI ALAMATEN

ख़ुद के अंदर हज़ार कमी लेकर हमे रिश्ता "कस्टमाइज़" चाहिए।

मोटिवेशनल स्पीकर मोहम्मद मुज़म्मिल हैं भारत के "ड्रीम विनर"