करोड़ों पर भारी तरबीयत की सवारी (संस्कार) भाग-2
करोड़ों पर भारी तरबीयत की सवारी भाग-1
नरगिस क्या बात है बेटा आज आप बहुत परेशान नज़र आरही है। नरगिस जो कि कभी झूठ नही बोलती थी लेकिन इस डर से की कहीं उसकी अम्मी उसे डांटे ना उसने झूठ बोल दिया कि उससे फीस का पैसा गिर गया है। जिसकी वजह से वो एग्जाम फीस जमा नही कर पाएगी। पहले तो उसकी अम्मी नाराज़ हुई लेकिन जब नरगिस के मासूम चेहरे को देखा तो फौरन उनका गुस्सा शांत होगया।
रो मत बेटा अल्लाह इंशाअल्लाह कोई सूरत ए हाल बना देगा उसपर भरोसा रखो। तुम तो जानती हो हमारे लिए पंद्रह हज़ार की रक़म बहुत बड़ी रक़म है।
तुम्हारे अब्बू एक मामूली टेलर हैं। और तुम जो मेहनत करके बच्चों को पढ़ाती हो उसी से घर का और तुम्हारी पढ़ाई का ख़र्च निकलता है। मेरी बहादुर बच्ची इस तरह रोते नही है, अल्लाह पर भरोसा रखो इंशाअल्लाह एक दिन सब ठीक होजाएगा।
नरगिस परेशान आख़िर वो कहाँ से इतनी जल्दी इतने पैसे लाएगी। वो एक दवा की दुकान पर अपने अब्बू की दवा लेने जाती है, अक्सर ही वहाँ वो जाती है लेकिन उसे आज एक नया चेहरा दिखा। जो आज से पहले नही दिखा था।
जी मैम आपको क्या चाहिए।
भइया ये दवाइयां दे,दें। ओके मैम।
ये लीजिए आपकी दवाइयां।
कितने पैसे हुवे ?
मैम आपके 2475₹ हुवे हैं।
भईया क्या बात कर रहे हैं आप 😳.... इतने ज़्यादा कैसे होगए हर बार तो यही दवाइयां लेकर जाती हूँ। नही मैम आप पर्चे पर देखिए इस बार डॉक्टर ने दो दवाई बढ़ा दी है जिसकी वजह से इतने पैसे हुवे। इन दोनों दवाइयों की क़ीमत ही 1800₹ है।
अब नरगिस परेशान हाल वो कैसे इतने पैसों का इंतेज़ाम करे, दवाइयां भी नही छोड़ सकती थी और इतने पैसे थे नही उसके पास। उसकी परेशानी को सामने केबिन में से एक नौजवान नरगिस को देख रहा था।
राहुल क्या हुआ ? सर वो मैम ने दवाइयां ली है लेकिन उनके पास इतने पैसे नही है कि वो सारी दवाइयां ले सकें वो कह रही हर बार इसी जगह से दवा ले जाते हैं पैसे नही है उन्हें उधार दे दें। बाद में पैसे देने को बोल रही हैं।
ओके उन्हें अंदर भेजिए। जी मैम बताइये क्या प्रॉब्लम है आपको ?
सर मेरे पास पैसे नही है और हर बार हम इसी जगह से ये दवा लेकर जाते हैं पिछले मैनेजर साहब मुझे पहचानते हैं। आप शायद नए आए हुवे हैं यहां ?
जी कल ही मैंने यहां नौकरी जॉइन की है, आपकी प्रॉब्लम क्या है जो आप पैसे नही दे पा रही है ? नरगिस ने अपनी सारी प्रॉब्लम बता दी। साहिल के दिल में पहली ही नज़र में नरगिस उतर चुकी थी, जिस तरह वो इतनी साफ़गोई से अपनी परेशानी को बिना किसी लागलपेट के बता रही थी उससे साहिल बहुत इम्प्रेस हुआ।
Ok ok ऑलराइट। मैं आपको ये दवाइयां देता हूँ आप मुझे अगले महीने पैसे दे दीजिएगा। और सुनिए ये लीजिए मुझसे अपनी फीस के पैसे, आप अपने कॉलेज की फीस जमा कर दीजिए।
नही नही ये मैं कैसे ले सकती हूँ इसकी इजाज़त मेरा ज़मीर नही देगा और हम आपको जानते भी नही है। अरे रख लीजिए, क़ुरआन में क़र्ज़ ए हसना का ज़िक्र आपने पढ़ा होगा। जी। तो बस इसे क़र्ज़ ए हसना समझ लीजिए एक दूसरे की मदद करना हमारा दीनी फ़र्ज़ है। जब आपके पास होगा आप लौटा दीजिएगा।
मगर........
अगर मगर कुछ नही रखिए आप। ये मुझे आज ही स्कॉलरशिप मिली थी। लेकिन.... लेकिन वेकिन कुछ नही बस आप रखिए। नरगिस ने वो पैसे रख लिए और ख़ुशी खुशी घर आगयी। घर आने के बाद सबसे पहले दो रकत शुक्राना नमाज़ अदा की। क्योंकि फीस जमा करने में बस दो दिन और बचा था।
या रब आप की हिकमत बहुत बड़ी है आप अपने बंदों को गिरने नही देते, किसके ज़रिए कहाँ ,कब, कैसे,मदद कर दें कोई नही जानता है। मैंने किसी की मदद उसकी परेशानी देखकर की आज आपने मेरी मदद किसी के ज़रिए करके मेरी परेशानी को दूर कर दिया। या अल्लाह आपका लाख लाख शुक्र है।
नरगिस रोज़ की तरह कॉलेज गई। वहां कॉलेज कैंटीन में सब मौज मस्ती कर रहे थे ख़ूब खा पी रहे थे। ये किस बात का जश्न होरहा है ? नरगिस ने पूछा उसके बगल में खड़ी लड़की ने कहां, लो तुम्हे पता ही नही ? .... नही, क्या हुआ ? अरे बाबा रोशन और ज़ीनत की सगाई होगयी दोनों की अगले महीने शादी है। नरगिस को फ़िज़ूलखर्ची बिल्कुल नही पसंद थी। कहने को ज़ीनत और रोशन अमीर बाप की औलाद थे लेकिन कभी किसी की मदद नही करते थे। एक नंबर के घमंडी ग़ुरूरज़दा इंसान थे वो दोनों, जिन्हें ग़रीबों को सताने में और उनका मज़ाक उड़ाने में मज़ा आता था।
नरगिस वहां से निकल गई, इन अमीर लोगों का भी अच्छा ड्रामा है किसी की मदद नही कर सकते है लेकिन फ़िज़ूलख़र्ची के लिए इनके पास ख़ूब पैसे आजाते हैं।
उधर साहिल और नरगिस में एक अच्छी दोस्ती हो चुकी थी।
नरगिस को साहिल का मैसेज मिला।
नरगिस में आपसे मिलना चाहता हूँ। क्या आप पार्क में मुझसे मिल सकती है अभी ?
मैं आपका वेट कर रहा हूँ।
नरगिस का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, ये मैसेज आम दिनों से अलग लग रहा था।
साहिल सब ख़ैरियत है ना ?
हां सब ख़ैरियत है बस आप आइये अभी कुछ ज़रूरी बात करनी है।
नरगिस का दिल और ज़ोर से धड़कने लगा, कहीं साहिल उससे दवा का और फीस का पैसा ना मांग ले, अभी तो उसके पास है भी नही। रमज़ान आने वाले है फिर ईद। या अल्लाह अब क्या करें हम, यही सब सोच कर नरगिस बेचैन होगयी।
तभी साहिल की कॉल आई, नरगिस आइये आई एम वेटिंग।
Ok ok साहिल बस दस मिनट में आते हैं। नरगिस ने नक़ाब पहना हिजाब लगाया और चली गई। जैसे सिंपल रहती थिज़ नरगिस कभी मेकअप नही करती थी। बिना मेकअप के ही उसका चेहरा नूरानी था। जैसे कोई चमकीला हीरा, तीखे नैन नक्श, बड़ी बड़ी आंखें, गुलाबी मासूम गोरी रंगत उसपर सलीक़े से किया हुआ हिजाब।
हाँ साहिल बताइये सब ख़ैरियत है ना ??
Actually नरगिस मुझे आपसे कुछ कहना है ?
क्या साहिल, नरगिस की धड़कन बहुत तेज़ हो चुकी थी।
बिना बात को इधर उधर घुमाए साहिल ने सीधा कहा,नरगिस मुझे आपसे मोहब्बत होगयी है क्या आप मुझसे शादी करेंगी ?
नरगिस बिल्कुल सुन पड़ गई उसे यक़ीन नही होरहा था कि वो जो सुन रही है वो सच है। नरगिस बोलिए, क्या आप मुझसे शादी करेंगी ?
नरगिस साहिल को पसंद तो करती थी लेकिन उसका ज़मीर गवारा नही कर रहा था कि वो अपनी अम्मी की तरबीयत के ख़िलाफ़ जाएं। और ख़ुद से इस बात का फैसला करें बिना वालिदैन की इजाज़त के।
नरगिस वहाँ से निकल आई। उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था। साहिल की कॉल बार बार आरही थी।
नरगिस को परेशान देखकर उसकी अम्मी ने पूछा। बेटा नरगिस क्या हुआ सब ख़ैरियत है ना ?
अम्मी वो.... क्या वो ? अम्मी साहिल.... क्या साहिल, सब ख़ैरियत है ना बेटा ??
अम्मी साहिल मुझसे शादी करना चाहते हैं।
फिर उसने सारी बातें बता दी कि कैसे उसने एक परेशानहाल बच्चे की मदद की अपनी फीस के पैसे से और किस तरह साहिल से मिली सब बता दिया।
दूसरे दिन एक औरत और एक आदमी मशकूर साहब के घर आए।
जी आप कौन ? जी हम साहिल की अम्मी, आइये आइये बैठिए, जी बताइये, ख़ैरियत ,कैसे आना हुआ आप लोगों का हमारे घर ?
हमे आपकी बेटी को अपनी बहू बनाना है, साहिल ने नरगिस के बारे में सब कुछ बताया है। लेकिन, ये लेकिन अगर मगर नही, आप बताइए क्या आप अपनी बेटी को मेरी बेटी बनाएंगी ? मुझे बहू नही बेटी चाहिए, सफ़ीना को भी साहिल पसंद था वो जानती थी साहिल से मिल चुकी थी। जी, तो बिस्मिल्लाह कीजिए इंशाअल्लाह इस ईद बाद दोनों की शादी कर देते हैं। जैसा आप लोग बेहतर समझे, नरगिस से भी पूछ लेते हैं।
बेटा नरगिस आपके लिए साहिल का रिश्ता आया है, आप तैयार हैं ?
नरगिस ने शर्म से सर नीचे झुका लिया और मुस्कुराते हुवे अपने कमरे में भाग गई, उसकी ख़ामोशी ने बता दिया था वो इस शादी के लिए राज़ी है।
साहिल और नरगिस की शादी भी उसी दिन पड़ी जिस दिन रोशन और ज़ीनत की शादी थी।
रोशन और ज़ीनत की शादी में करोड़ों ख़र्च हुवे और साहिल नरगिस की शादी बहुत सादगी से एक यतीम खाने में यतीम बच्चों को खाना खिला कर हुई। साहिल और नरगिस की ख़्वाहिश थी कि शादी इसी तरह हो। उन्हें फ़िज़ूलख़र्ची और दिखावा बिल्कुल भी पसंद नही था।
वक़्त बीतता रहा, रोशन और ज़ीनत में आए दिन कहा सुनी होती। तुम्हारी अम्मी ने तुम्हे कुछ सिखाया नही, कुछ बताया नही की बड़ो से कैसे बात करते हैं। क्या तुम्हारी अम्मी ने तुम्हे वो तरबीयत, वो संस्कार नही दिए जो एक माँ अपनी बेटी को देती है। रोशन सोचने लगा वो जज़्बात में आकर ग़लत फैसला ले चुका था, ख़ूबसूरती देखी बस उसका दिल नही देखा, जो बिल्कुल सियाह था। तभी ज़ीनत की आवाज़ उसके कानों में बड़ी तो वो अपने ख़्याल से बेदार हुआ।
चुप कर, मैं तेरे बाप की नौकर नही हूँ जो उसके लिए बार बार गुलामो की तरह दौड़ती रहूं। उस बूढ़े को खाना दूं चाय दूं, दवाइयां दूं। अगर यही सब काम करवाना था तो एक नौकरानी रख लेते मुझसे ये सब काम नही होगा, वो भी एक बूढ़े के लिए जो कुछ ही दिनों में मरने वाला है। रोशन को ये एहसास होगया था कि ज़ीनत बस पैसों में पली बड़ी है "संस्कारों" में नही........
To be Continued.......
Khatm ya abhi bhi baki hai 🤔
ReplyDeleteAbhi baqi hai
Delete👍
ReplyDeleteNext part story k send kijiye
ReplyDeleteInshaallah Wednesday ko karte hain
Delete👍
ReplyDeleteबहोत ही मार्मिक
ReplyDeleteBht ho Dilchasp kahani h
ReplyDeleteTahe dil se Shukriya
DeleteBehtareen Tahreer
ReplyDeleteNice Story
Jazakallah
JazakAllah
ReplyDeleteMuzaffar Ali
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