करोड़ों पर भारी तरबीयत की सवारी (संस्कार) भाग-3
करोड़ों पर भारी तरबीयत की सारी (संस्कार) भाग-2
इधर नरगिस के आने से साहिल के घर में रौनक आगयी थी। दोनों मिलकर इबादत करते ग़रीबो की मदद करते। साहिल बहुत पैसे वाला नही था लेकिन पढ़ा लिखा होशियार था।
उसके वालिद मग़रूर आलम साहब की किराने की दुकान थी।
अब्बू हम एक मेडिकल स्टोर खोलना चाहते हैं।
क्यों बेटा ? अब्बू मुझे मेडिकल की दुकान का अच्छा अनुभव है और उसे हम अच्छे से चला सकते हैं।
ठीक है बेटा खोल लो तुम अपना मेडिकल, लेकिन पैसे इतने है नही। अब्बू उसकी फिक्र आप ना करे हम लोग लोन ले लेंगे।
नरगिस ने भी अपनी पढ़ाई पूरी कर ली थी। बेटा नरगिस आप क्या करेंगी ? अब्बू अभी तो कुछ सोचा नही है।
साहिल ने एक मेडिकल स्टोर खोल लिया था। इसी बीच रोशन के अब्बू के इंतेक़ाल की ख़बर आई।
बेटा हमे जनाज़े में शरीक़ होना होगा, अब्बु आप क्यों जाएंगे वो आपके लगते क्या थे ?
मशकूर आलम ने सारी दास्तां बयां कर दी।
बेटा वो तुम्हारे सगे चाचा है।
व्हाट, साहिल को जैसे शॉक्ड लगा हो।
अब्बू हमारे रिश्तेदार भी है, हाँ बेटा, वो हमारे सगे रिश्तेदार है लेकिन गुर्बत की वजह से उन्होंने कभी मुझे मुड़कर भी नही देखा मेरा हक़ मार कर आज इतने बड़े आदमी बने हुवे हैं।
हम बड़े भाई थे लेकिन मुझे बेदख़ल कर दिया गया। साहिल को ये सब सुनकर शॉक्ड लगा।
और बेटा नरगिस आप जानती है रोशन की अम्मी आपकी क्या लगती है ?
नही अब्बू,
बेटा वो तुम्हारी सगी ख़ाला है।
व्हाट 😳
मेरी कोई ख़ाला भी है ?
हाँ बेटा उन्होंने घर से बग़ावत करके शादी की थी तुम्हरी ख़ाला नेभाग कर।
जिसकी वजह से तुम्हारी अम्मी को पढ़ने नही दिया गया, बाद मे जब तुम्हारे नानी नाना बीमार थे तो इसने आकर सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली थी। बहुत घमंडी औरत है तुम्हारी ख़ाला फैशन और नशे में चूर रहती थी मेरे भाई को फंसा कर मेरे घर परिवार में आग लगा दी।
मतलब ज़ीनत मेरी ख़ाला जात बहन है ? हाँ।
वो घमंडी लड़की मेरी बहन 😏
नरगिस ने कहा।
रोशन और ज़ीनत ने कॉलेज के वक़्त बहुत बेइज़्ज़ती की थी और उसकी गुर्बत का बहुत मज़ाक बनाया था।
साहिल के अब्बू का काम ठप पड़ने लगा था और साहिल का भी। कंपीटिशन बहुत होगया था।
जगह जगह मेडिकल स्टोर खुलने लगे थे उस इलाके में पहले साहिल का अकेला मेडिकल स्टोर था जिस वजह से ख़ूब चलता था।
साहिल और नरगिस लेटे हुवे सोच रहे थे।
नरगिस कैसे आगे गुज़ारा होगा, साहिल ने नरगिस से कहा।
समझ में नही आता, कंपीटिशन बढ़ता जा रहा है और आमदनी बिल्कुल कम होती जा रही है। एक मोटी रक़म लोन पे ली है। कैसे उसे चुकाया जाएगा ?
सब होगा इंशाअल्लाह। आप फ़िक्र क्यों करते हैं, अल्लाह हमारा इम्तिहान ले रहा है। एक दिन इंशाअल्लाह सब ठीक कर देगा, ना उम्मीदी कुफ्र है। चलिए अब फिक्र छोड़िए और सो जाइए सुबह फज्र की नमाज़ पढ़नी। इंशाअल्लाह ☺️
उधर रोशन और ज़ीनत में आए दिन लड़ाई होती।
रोशन समझ गया था लाखों करोड़ों की शादी की नुमाईश करके असली शादी का मक़सद ही पूरा नही हुआ।
शादी और दौलत की चकाचौंध में। हम ये भूल गए कि बीवी क्या होती है और कैसी होती है।
करोड़ों ख़र्च करके भी संस्कार नही ख़रीद सकते हैं। माँ बाप करोड़ों ख़र्च करके अपनी बेटी/बेटे के ऐब को छुपा ले जाते हैं।
उन्हें लगता है यही उनकी शान है कि इतनी महंगी शादी की इतना सब कुछ ख़र्च किया। लेकिन असली इम्तिहान तो शादी के बाद शुरू होता है।
हम लाखों करोड़ों ख़र्च करके अपनी समाज मे इज़्ज़त बनाते है लेकिन वही इज़्ज़त ग़लत तरबीयत और बिना संस्कार के शादी के बाद ख़त्म होजाती है।
शादी में पैसा ख़र्च करके हम इज़्ज़त तो समाज में बना लेते हैं लेकिन थोड़ा सा संस्कार और तरबीयत ना देकर हम उससे भी ज़्यादा बेइज़्ज़ती समाज में करवा देते हैं।
जब बेटी की हरक़त पूरे समाज को पता चलती है और लोग कहना शुरू करते है कि इतनी दौलत शोहरत का क्या फ़ायदा जब अच्छे से तरबीयत,संस्कार ना दे सकें। लाखों करोड़ों की शादी करके क्या फायदा जब लड़की ससुराल में दो कौड़ी की हरक़त कर जाए।
रोशन ये सब सोच कर रोने लगा कि उसने चंद लम्हों की खूबसूरती को देखा लेकिन ख़ूब सीरती को बिल्कुल नही देखा। उसे अपनी पसंद पर शर्म आने लगी थी।
दिन बीतते रहे लोन और ब्याज की रक़म बहुत ज़्यादा होगयी बार बार बैंक से नोटिस आने लगा। फाइनल नोटिस के बाद लोन की रक़म चुकाने के लिए अब उन्हें घर और दुकान बेचने के सिवा कोई रास्ता नही बचा था।
साहिल हम आपके साथ है। नरगिस आपको मेरी वजह से बहुत परेशानी उठानी पड़ी है, आपको मैंने परेशानी में डाल दिया शादी करके।
अरे नही साहिल उतार चढ़ाव तो ज़िन्दगी में लगा रहता है। मेरा रब इम्तिहान भी उसी का लेता है जो उस लायक़ होता है। अल्लाह के फैसलों पर ऐतराज़ करने वाले हम कौन होते हैं।
जी बेगम साहिबा। आप लोन चुकाइये, इंशाअल्लाह इससे बड़ा घर बना लिया जाएगा मिलकर।
वो लोग घर और दुकान बेच कर एक जगह किराए का मकान ले लेते हैं।
साहिल मैं खाना बहुत अच्छा बना लेती हूँ, क्यों ना खाने का कारोबार करें ?
अरे नही नरगिस आप कहाँ ये सब करेंगी,हम कर लेंगे। साहिल प्लीज़ मुझे भी करने दें हम आपकी हमसफ़र है भला इस सफर में कैसे आपको अकेला छोड़ दें।
यही तो वक़्त है हमारे इम्तिहान का, बीवी होने का फ़र्ज़ निभाना है।
उधर मग़रूर साहब के इंतेक़ाल के बाद रोशन का कारोबार धीरे धीरे कम होने लगा। आमदनी जब कम होने लगी अय्याशी और फ़िज़ूलख़र्ची बन्द होगयी।
रोशन मुझे 5 लाख रुपये चाहिए, अपने दोस्तों के साथ पार्टी में जाना है। ज़ीनत तुम देख रही हो धंधा बिल्कुल चौपट है और तुम्हे पैसों की पड़ी है, वो भी अपनी अय्याशी के लिए।
रोशन तमीज़ से बात करो, अगर तुम्हारी औक़ात मेरा ख़र्च उठाने मेरे शौक़ पूरे करने की नही थी तो शादी क्यों कि मुझसे ?
जा रही हूँ तुम्हारे घर से दो कौड़ी के आदमी, ये कह कर ज़ीनत अपनी माँ के घर चली गई। कोई बात नही बेटा हम तुम्हे रख लेंगे उस फटीचर आदमी के पास जाने की कोई ज़रूरत नही है। तुम मेरे पास रहना।
साहिल और नरगिस ने घर से खाना बनाने का काम शुरू किया।
नरगिस खाना बनाती और साहिल उसे सप्पलाई करता। धीरे धीरे पूरे शहर में नरगिस के खाने की डिमांड होने लगी।
टिफिन सर्विस को अब उन्होंने एक छोटी सी दुकान में शिफ्ट कर दिया।
आए दिन ग्राहकों की बढ़ती भीड़ से ये काम चल निकला। लेकिन अभी भी उनके पास इतने पैसे नही थे कि वो अपना घर ले सकें और लोन की बाक़ी रकम चुका सकें।
एक दिन उनकी दुकान पर एक बहुत रईस इंसान आया। आप नरगिस है ?
जी हाँ लेकिन आप कौन ?
आपा आपने मुझे पहचाना नही ?
मैं रमीज़, याद है आपने मुझे मेरी माँ की दवा के लिए पैसे दिए थे ?
Ohh हाँ ,तुम कितने बड़े होगए हो माशाअल्लाह से, कहाँ थे तुम ?
अप्पी में दुबई चला गया था और वहां काम करने लगा फिर अपना काम शुरू कर दिया आज मेरे पास बेशुमार दौलत है अल्लाह के करम से।
लेकिन ये आपकी वजह से हो सका।
आपने जो मुझे पैसे दिए थे उससे मैंने माँ की दवा और खाने का सामान लिया बाक़ी पैसों से पासपोर्ट बनवाया। अगर उस दिन आप हमारी मदद नही करती तो शायद ही हम ज़िन्दा रह पाते।
आज जो कुछ भी है आपकी वजह से है।
आपको मैंने कहाँ कहाँ नही ढूंढा, आपका पता मुझे मुझे बहुत मुश्किल से मिला मै सीधा आपके पास आगया।
अप्पी ये लीजिए 5 करोड़ का चेक, अरे नही ये हम कैसे ले सकते हैं। अप्पी ये क़र्ज़ ए हसना समझ के ले ले।
जब आपके पास होगा तब लौटा दीजिएगा।
ये आप क़र्ज़ ए हसना समझ के ले ले जब आपके पास होगा तब लौटा दीजिएगा वैसे भी मैं आपका छोटा भाई हूँ। ये फ़र्ज़ है मेरा, प्लीज़ अप्पी इनकार मत कीजिए इसे रख लीजिए।
उसे साहिल की बातें याद आने लगी।
फ़ौरन वो सजदे में गिर पड़ी और अपने रब का शुक्र बजा लाई।
या अल्लाह किस तरह तू कैसे कैसे मदद करता है तेरी हिकमत का कोई तोड़ नही।
अब उन्होंने एक रेस्टॉरेंट खोल लिया था, और सारे पैसे चुका दिए थे लोन के, एक घर ख़रीद लिया था।
धीरे धीरे नरगिस रेस्टॉरेंट इतना ज्यादा प्रसिद्ध होगया की इसकी कई ब्रांच होगयी।
उधर मैमुना का ज़ीनत रेस्टॉरेंट एक के बाद एक बंद होने लगा।
हालात ये होगए की इन्हें अपना सबकुछ बेचना पड़ा।
एक दिन रोशन नरगिस के रेस्टॉरेंट में आया जॉब के लिए आलीशान रेस्टॉरेंट, मुझे जॉब की ज़रूरत है, किससे मिले ?
वो सामने जो मैडम है उनसे मिल ले।
बिल्कुल सादे लिबास में एक लड़की वहां बैठी थी, रोशन जैसे ही क़रीब गया पहचान गया।
नरगिस तुम ? अरे रोशन तुम यहाँ कैसे आओ बैठो, नरगिस तुम भी इसी जगह जॉब करती हो ? नरगिस ने कुछ नही कहा और मुस्कुराने लगी, मैं अभी आती हूँ।
ये कह कर नरगिस चली गई।
वेटर इधर आओ इस आलीशान होटल का मालिक कौन है, सर अभी तो मालकिन आपसे बातें कर रही थी।
वो नरगिस ?
हाँ शहर में जितना भी नरगिस होटल, रेस्टॉरेंट है सब उन्ही का है।
हाँ रोशन बताओ, सॉरी वो ससुर जी को खाना देना था तो चले गए थे। नरगिस आई एम सॉरी, किस लिए रोशन ? वो मैंने तुम्हें बहुत बेइज़्ज़त किया बहुत मज़ाक बनाया तुम्हारी गुर्बत का तुम्हारे कपड़ो का। रोशन वो तुम्हारे संस्कार थे ये मेरे संस्कार है। और वक़्त वक़्त की बात है तुमने हमेशा दूसरों को हक़ीर समझा, लेकिन कोई बात नही अल्लाह जब चाहता है अपने बंदों को हिदायत अता कर देता है।
तुम बताओ तुम्हारी वाइफ ज़ीनत कैसी है, कौन ज़ीनत, वो घमंडी ?
हाँ वही मेरी ख़ाला ज़ात बहन ज़ीनत जिसको शौहर बीवी के रिश्ते की क़द्र नही।
उसने मुझे पैसा ख़त्म होने के बाद छोड़ दिया।
आज मैं उसकी वजह से रोड पर आगया हूँ। उसकी अय्याशी और फ़िज़ूलख़र्ची ने मुझे रोड पे ला खड़ा किया।
उसे अपनी दौलत का बहुत ग़ुरूर था, आज तुमने उसके ग़ुरूर को तोड़ दिया। और मेरे भी 😔
उसके सारे रेस्टॉरेंट बंद होगए।
ओह्ह , रोशन तुम ज़ीनत को अपने साथ रख लो वो तुम्हारी बीवी है।
और हाँ ये रहा तुम्हारा ऑफर लेटर, आज से तुम नरगिस ग्रुप के जनरल मैनेजर हो।
जरनल मैनेजर ?
हाँ रोशन अब तुम जनरल मैनेजर हो, तुम अपने ही हो चाचा के रिश्ते से भी और ख़ाला के रिश्ते से भी।
क्या हुआ तुम लोगों ने कभी नही माना हमे लेकिन हम तो मानते है ना।
रिश्ते बहुत अनमोल होते हैं। उनसे मुँह मोड़ने से अल्लाह नाराज़ होता है।
हमारी गुर्बत का सबब बनता है अपने नाते रिश्तेदारों से मुँह मोड़ लेना
सिलारहमी सबसे बड़ा हमारा फ़रीज़ा है उसे निभाना चाहिए, क्या हुआ अगर सामने वाला नही निभा रहा।
हम तो निभा सकते है ना, अगर सब बुरे बन जाएंगे तो इस दुनिया का मीज़ान बिगड़ जाएगा।
अल्लाह ने हर चीज़ का जोड़ा बनाया है वैसे ही बुरे के लिए अच्छा और अच्छे के लिए बुरा भी बनाया है।
जो भी हो तुम हो हमारे चाचाज़ात भाई ही, साहिल ने कहा। हाँ साहिल और मेरी ख़ाला ज़ात बहन का शौहर यानी मेरा बहनोई भी, नरगिस ने कहा, फिर दोनों हँसने लगे।
जो होगया उसे भूल जाओ और नई शुरुआत करो, हम सब अपने ही है।
अगर किसी पर बुरा वक्त नही आता तो कैसे पता चलता अपने मे छूपे ग़ैर और ग़ैरों में छुपे अपने कौन है।
तुमने हमे ग़ैर समझा लेकिन हम लोगों ने हमेशा तुम्हे अपना समझा।
ज़ीनत को भी बुला लो और तुम ज़ीनत अपना काम शुरू कर दो ये लो अलग से पचास लाख रुपए। और जाकर ज़ीनत को लेकर आओ, वो तुम्हारी बीवी है।
रोशन बस नरगिस का चेहरा देखता रह गया। ये तरबीयत और ये संस्कार लाखो करोड़ो देकर भी नही पाए जा सकते हैं। आज नरगिस की तरबीयत करोड़ों पर भारी लग रही थी। ये तरबीयत माँ बाप के अच्छे अख़लाक़ और अल्लाह के फ़ज़लों करम से ही हासिल होती है। नेक बीवी मिलना मुश्किल है जिसकी ऐसी तरबीयत हो जो दूसरों को समझे वरना पैसा तो ज़ीनत और मेरे पास भी था लेकिन तरबीयत से महरूम थे।
Sabaq Aamoz Beautiful Story
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