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Showing posts from July, 2023

मोजिज़ा ए हिदायत, जब मिली साहू जी को रौज़ा ए मौला अली से बशारत

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मुहर्रम का आगाज़ हो चुका है। सफ़ीना ए निजात का काफ़िला निकल चुका है। कश्ती ए निजात बस आपके पास पहुंचने वाली होगी।  यही वो नाम ए हुसैन अस है जिसकी बशारत अल्लाह ने दी। यही वो हुसैन अस है जिनका झूला फरिश्तों के सरदार हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने झुलाया। यही वो हुसैन अस है जिनका नाज़ रसूलअल्लाह स.अ उठाया करते थे। यही वो हुसैन अस है जिनके नाना रहमत-उल-लील-आलमीन दोनों जहां के मालिक है बाबा शेरे ख़ुदा वली ए ख़ुदा मौला अली अस हैं। जिनकी माँ सिद्दिक़ा और ताहिरा और जन्नत की औरतों की सरदार दुखतर ए रसूल स.अ शहजादी फ़ातिमा ज़हरा है। जिनके भाई और जो ख़ुद भी जवानाने जन्नत के सरदार है। जिनके लिए हदीस ए कुद्दुस है अल्लाह फ़रमाता हैं। कि मैं एक छुपा हुआ ख़ज़ाना था, मैंने चाहा मैं पहचाना जाऊ तो मैंने नूर ए पंजतन अलैहिस्सलाम को हज़रत आदम से दो हज़ार साल पहले ख़ल्क़ किया। ये वो हुसैन है जो जिनकी पैदाईश पर अल्लाह ने फरमाया ऐ फरिश्तों ज़मीन पर जाओ आज मेरे हबीब मेरे नबी का नवासा तशरीफ़ लाया है उसकी मुबारक़बाद दे दो। जो फ़ितरुस को बाल ओ पर अता कर दें। जो राहिब की क़िस्मत को पलटा कर ला वालद को 7 औलाद अता कर दें। जो म...

जब्बार की बिटिया और रुख़सार की अम्मी (लखनऊ की बाजी) ने जब रखा ज़ुकरूवा के सीने पर क़दम, बवाल मचा दिया बे

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कौन कहता है आसमान में सुराख़ नही हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। कुछ इस तरह की लाइन को चरितार्थ करती है रुख़सार की अम्मी (लखनऊ की बाजी) अब आप पूछेंगे भला ये रुख़सार की अम्मी और जब्बार खान की औलाद कौन है ? चलिए मिलवाते हैं आपको रुख़सार की अम्मी जब्बार खान की मशहूर तमीजों तहज़ीब वाली बिटिया से।  जैसे जैसे रुख़सार बड़ी होरही है जब्बार खान की बेटी को रुख़सार की शादी की फ़िक्र सताने लगी है। एक तरफ ये तपती धूप और दूसरी तरफ रुख़सार का ढंकता रंग , रुख़सार की अम्मी को फिक्र के समुंदर में गोते लगवा रहा है।  हाथ तंग है अभी बिटिया जवान होरही है, रुख़सार का ब्याह रचाना है। इस प्रचंड गर्मी से निजात के लिए रुख़सार की अम्मी ने अभी कुछ दिन पहले ही एसी लगवाया है ताकि बिटिया को पसीना ना हो और बिटिया का रंग गोरा चिट्ठा बनना रहे।  हो भी क्यों ना हर माँ को अपनी औलाद की फिक्र रहती है फिर भला जब्बार खान की बिटिया अपनी औलाद के लिए फिक्रमंद क्यों ना होती ?  एकलौती होनहार बिटिया है जो एलएलबी कर रही है। वो भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से। लॉक डाउन के दौरान घर में बैठी बैठी रुख़सार और उनकी अम्म...