क्या आप जानते हैं पुरुषों के पीरियड के बारे में ?

ईश्वर ने प्रकृति को कई वरदान दिए हैं, आग,पानी,हवा,जड़ी बूटी और उससे दवा, चरिंद,परिंद, ज़मीन आसमान,पहाड़, पेड़ पैधे और सबसे बड़ी नेमत इंसान जिसे अक़्ल ओ शउर अता किया। 

इंसान ही ऐसा है जिसे दुख,दर्द,हँसी, ख़ुशी, प्यार, मोहब्बत, नफ़रत, अच्छे बुरे का एहसास है। इंसान ही ऐसा है जो हँसता भी है रोता भी है प्यार भी करता है गुस्सा भी करता है। जब तक इंसान अच्छे से बात करता है तो लगता है इससे बेहतर इंसान,इससे ज़्यादा प्यार और परवाह करने वाला कोई नही है,पर जैसे ही इंसान, गुस्सा होता है चिड़चिड़ा होता है हमे वो ज़हर लगने लगता है।

ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव में बहुत सारी परेशानियां आती है। किसी की शादी नही होरही,किसी के माँ बाप नही होते,कोई दुनिया से कटा है,कोई काम पर डटा है। किसी को बॉस डांट रहे हैं किसी को पति/पत्नी सुना रही है। कोई अपने ग़म से परेशान है तो कोई दूसरों की ख़ुशी से परेशान है। पल में हंसाता है पल में रुलाता है इंसान पल में कितना बदल जाता है।

आपने अक़्सर सुना होगा जब महिलाओं को मासिक धर्म (पीरियड) शुरू होता है तो उनका मूड बदल जाता है, अच्छी अच्छी बात भी बुरी लगती है। चिड़चिड़ापन, दर्द,मूड स्विंग होता है। उस दौरान अगर पुरूष महिलाओं के हालात को नही समझ पाते हैं तो बात बिगड़ जाती है। एक रिसर्च के अनुसार सबसे ज़्यादा ब्रेक अप और तलाक़ दौरान ए पीरियड होते हैं। 

इंसान स्वाभाविक है कि हमेशा अच्छा सुन्ना अच्छा खाना,पहनना,अच्छी जगह घूमना और अच्छी बातें सुनने पसन्द करता है लेकिन जब एक इंसान अचानक से बदल जाए तो उसे ये बात नागवार गुज़र जाती है। 

हम महिलाओं के पीरियड को समझ नही पाते,क़ुदरत का अनमोल खज़ाना है ये, अगर पीरियड ना आए तो हेल्थ पर बहुत बुरा असर पड़ता है। पीरियड में बहुत दर्द होता है जिसे "Dysmenorrhea" कहते हैं इसके दो स्टेज होते हैं प्राइमरी और सेकंडरी। कुछ महिलाओं में पीरियड के शुरुआती दिनों में बहुत दर्द होता है जो प्राइमरी स्टेज का होता है। और कुछ को बाद में होता है जिसे सेकंडरी स्टेज कहते हैं।

जब महिलाओं को पीरियड आते हैं तो उन्हें खून आता है,मूड स्विंग होता है,दर्द होता है,चिड़चिड़ापन, अच्छी बातें भी ज़हर लगती है,गुस्सा आता है, इसी में ना जाने कितने रिश्ते तबाह होजाते हैं।  क़ुदरत ने तो महिलाओं की महिवारी को ज़ाहिर कर दिया। 

पर क्या हो अगर पुरुषों को भी पीरियड आने लगे ??

बात सुनने में अटपटी लग सकती है लेकिन ये सच है कि जिस तरह महिलाओं को पीरियड आते हैं वैसे ही हर महीने पुरूषों को भी पीरियड आते हैं। फ़र्क़ बस इतना है उन्हें ब्लीडिंग नही होती है। 

कुछ केसेस में पुरूषों को भी पेशाब के द्वारा ब्लीडिंग होती है,वैसे ही दर्द महसूस होता है जिसे "Sperm crams" नाम से भी जाना जाता है। 

क़ुदरत ने हमे बहुत बारीकी से बनाया है, हमारे अंदर अरबो कोशिकाओं को रखा,हड्डी,गोश्त,खून और अलग अलग तरह के अंग दिए उन्हें चलाने के लिए जो ईंधन चाहिए उसे हम हार्मोन्स कहते हैं। दिल,गुर्दा,फेफड़ा ,प्रोटीन, विटामिन्स, कार्बोहाइड्रेट, आयरन ये कॉमन ईंधन है शरीर को सुचारू रूप से चलाने के लिए, उसके बाद इन ईंधन के भी सब ईंधन है जिसे हम हार्मोन्स कहते हैं। स्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरॉन, डोपामाइन, मेलाटोनिन, एंडोर्फिन, ऑक्सीटोसिन,कुल मिलाकर 230 हार्मोन्स होते हैं जो शरीर की अलग अलग गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।


बात करते हैं पुरूष मासिक धर्म की।

अक्सर आपने अपने पति,बॉयफ्रेंड, कॉवर्कर को देखा होगा कि महीने में एक बार वो बहुत चिड़चिड़े होजाते हैं उनका व्यहवार बदल जाता है, ठीक से बात नही करते ,आप पर गुस्सा होते हैं,अच्छी अच्छी बातें भी बुरी लगती है।

दअरसल ऐसा होता है पुरूष पीरियड की वजह से जिसे मेडिकल की भाषा में "Irritable  male Synonyms (IMS)जिसे मेल पीरियड के नाम से  भी जाना जाता है।

फिजियोथेरेपिस्ट और "इर्रिटेबल मेल सिंड्रोम" नामक पुस्तक के लेखक डॉ "जेड डायमंड" अपनी इसी पुस्तक में लिखते हैं कि महिलाओं की तरह पुरुषों में भी प्रति माह हार्मोन्स बदलाव होते हैं। 

डॉ जेट ब्रिटो सेक्स थेरेपिस्ट कहते हैं महिलाओं की तरह पुरूषों में भी मेंस्ट्रुअल सर्कल चलते हैं लेकिन उन्हें ब्लीडिंग नही होती तो वो समझ नही पाते। उनका मूड स्विंग होता है,गुस्सा आता है कुछ अच्छा नही लगता है, चिड़चिड़ापन रहता है। जेड ब्रिटो आगे बताते हैं पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल सुबह अत्यधिक बढ़ जाता है और शाम तक घट जाता है। कुछ पुरुषों में ये घटता रहता है जिसकी वजह से उन्हें चिड़चिड़ापन होता है बात बात पर गुस्सा आता है कुछ अच्छा नही लगता,किसी से बात करने का मन नही करता है, सर में दर्द, तनाव,नींद नही आती है,बदन ऐंठता रहता है।  प्री मेंस्ट्रुअल सिन्ड्रोमस (PMS) की तरह ही "इर्रिटेबल मेन सिन्ड्रोमस (IMS) भी होता है। जिसे लोग टेंशन,डिप्रेशन एंग्जायटी समझ कर हज़ारों लाखों रुपए फूंक देते हैं।  इसकी वजह से ना जाने कितने रिश्ते बर्बाद होजाते हैं।

प्रायः पुरुषों एवं महिलाओं में एक असामान्य गतिविधि हर महीने होती है जिसका असर उनके सामाजिक जीवन पर पड़ता है। और इसी वजह से कुछ लोग डिप्रेशन, एंग्जायटी, नींद ना आना ,भूख ना लगने जैसी परेशानी से जूझने लगते हैं।

डॉ ब्रिटो कहते हैं पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर अलग अलग होता है ,और कुछ लोगों में इसका स्तर प्रभावित करता है जैसे जैसे इसके उतार चढ़ाव होते हैं,इसके लक्षणों को पहचाना जा सकता है। समय रहते अगर इसका ईलाज करवा लिया जाए तो सामाजिक जीवन पर पड़ने वाला असर कम होजाता है।

हम पुरुषों की मनोदशा को समझ नही पाते हैं। एक महिला,लड़की का हर पुरुष जानता है कि उन्हें महीने में ऐसी परेशानी का सामना करना पड़ता है और इस हालात में उन्हें गुस्सा आता है, कुछ अच्छा नही लगता, जो पुरूष नही समझ पाते उनके रिश्तों में दरार आजाते हैं। जो पुरुष इस बात को समझ लेते हैं वो बातों को हैंडल कर ले जाते हैं और अपने रिश्ते बचा लेते हैं। लेकिन पुरुषों के साथ ऐसा नही होता उनके लक्षण दिखाई नही देते,लगता है,काम के अत्यधिक बोझ से,किसी वजह से,आर्थिक तंगी से,नौकरी ना मिलने की वजह से ऐसा व्यवहार करते हैं। जबकि पुरुष भी इन समस्याओं से दो चार होते रहते हैं।

माना कि उन्हें भी डिप्रेशन होता है एंग्जायटी होती है नींद नही आती है भूख नही लगती है। लेकिन हर बार कारण एक जैसा नही होता 86% पुरूष इर्रिटेबल मेल सिंड्रोमस का शिकार है। जिसे मेल पीरियड के नाम से भी जाना जाता है। 

अगली बार अगर आपका पति,दोस्त भाई, कोई भी आप पर गुस्सा करे नाराज़ हो तो उसे प्यार से समझा ले, इस हालात में कुछ अच्छा नही लगता मूड स्विंग होता है।

हर तीन महीने पर पुरुषों को अपने टेस्टोस्टेरॉन का चेक अप करवाना चाहिए।

पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल
डिप्रेशन,
एंग्जायटी
नींद पूरी ना करना
हेल्थी डाइट नही लेने से
वेट बढ़ने से कम होता है, जिसका असर आपके वैवाहिक जीवन से लेकर सामाजिक जीवन तक पड़ता है। टेस्टोस्टेरॉन एक अहम रोल प्ले करता है पुरुषों के जीवन में।

अपने पुरुषार्थ दोस्तो को अवश्य शेयर करें और इर्रिटेबल मेन सिन्ड्रोमस "मेन पीरियड" के बारे में उन्हें बताए, उन्हें समझे। आज ज़रूरत है इन विषयों पर खुल कर बात करने की जिसकी वजह से लाखों जीवन हर महीने बर्बाद होरहे हैं। महिला पुरुष दोनों के मूड को उनके हालत को समझना बहुत ज़रूरी है। इसे एंड्रोपुअस भी कहा जाता है, 

एंड्रोपुअस के लक्षण के लिए यहाँ इमेज दे रहे हैं जिससे आप आसानी से समझ सकते हैं पुरुषों के लक्षण को

ऐसे हालात में उन्हें प्यार दें,उनका ख़्याल रखे,नकारात्मक बातों को नज़र अंदाज़ करें,उनके साथ अत्यधिक वक़्त बिताए। जब तक हम एक दूसरे को उनकी भावनाओं और परेशानियों को नही समझेंगे रिश्ते अच्छे नही बनेंगे। रिश्तों को अच्छा बनाने के लिए शारिरिक के साथ भावनात्मक रूप से भी एक दूसरे से जुड़ा रहना जरूरी है। रिश्तों की क़द्र करें एक दूसरे की परेशानी को समझे, अगर पुरुष 12 घण्टे काम करती है तो महिलाएं 18 घण्टे, फिर क्यों नही आप उन्हें बिन पगारी फूल अधिकारी का दर्जा देते ? महिलाओं का ख़्याल करें, समझे कि एक महिला सुबह 5:00 बजे से उठ कर रात के 12:00 बजे तक आपके लिए आपके परिवार के लिए जीती है। वही पुरुष भी अपनी हँसी खुशी दुख दर्द पीड़ा को अपने परिवार के लिए ख़त्म कर देता है, अपनी परेशानी को बता नही पाता। बेहतर है एक दूसरे को समझे एक हेल्थी सोसाइटी बनाएं, रिश्तों में घमंड और अकड़ से नही प्यार से काम ले। अगर महिला या पुरूष कोई भी गुस्सा हो तो उसे कुछ समय बाद सॉरी बोलकर मना ले। इंसान प्राकृतिक के हाथों बंधा हुआ है। सिर्फ ख़ुद को ही सर्वश्रेष्ठ ना समझे एक दूसरे को काम का अपनी तक़लीफ़ का ताना ना दें।

Comments

  1. Awesome.. If everyone can understand the feelings, emotions and situations of their partners then this world will also become like heaven..... This is the important issue which no one wants to discuss.just break the stereotype and save your relations.

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