इज़्ज़त बड़ी है या पैसा ?

जब आप किसी से मिलते हैं किसी के घर जाते हैं,सबसे पहला सवाल आपकी ख़ैर, ख़ैरियत का नही, आपकी कमाई का होता है,  बेटा क्या करते हो ? कितना कमाते हो ? कोई ये नही पूछता कैसे कमाते हो , दो सौ सैंतीस हार्मोन्स,  छत्तीस मिनरल्स, प्रोटीन ,दो सौ छह हड्डी अरबों सेल्स और बारह से सत्तरा लीटर ख़ून, दो आँख, एक नाक, दो कान, दिल,गुर्दा फेफड़ा, दो बाज़ू ,दो टांग और लाखों इलेक्ट्रान प्रोट्रान न्यूट्रॉन को छोड़ इंसान की भौतिकी क्षमता का आंकलन करने वाले समाज संचालक कागज़ की सरकारी मोहर की बात होती है। 

पैसा इंसान क्यों कमाता है ? आपका जवाब होगा जीने के लिए परिवार के संचालन के लिए समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए, घर,गाड़ी मोटर और सामाजिक भोग विलास के लिए। 

लेकिन इससे भी परे एक चीज़ है, वो है इज़्ज़त, मान सम्मान। जिसके लिए लोग समाजसेवा करते हैं, चुनाव लड़ते हैं, दान दक्षिणा करते हैं कि लोग उनका सम्मान करें उन्हें जाने, वो जहाँ जाए लोग सलाम करें, आदर सत्कार करें। सब कुछ इंसान मान सम्मान के लिए करता है वो सामाजिक बनता है, ब्याह रचाता है, परिवार बनाता है बच्चों को पढ़ा लिखा कर क़ाबिल बनाता है, क्यों ? क्योंकि वो चाहता है उसका लोग सम्मान करें , वो अगर कुछ नही बन पाता तो अपने बच्चों को क़ाबिल बनाता है उन्हें आगे बढ़ाता है, किस लिए ? 

सिर्फ मान सम्मान इज़्ज़त के लिए। पैसे का चक्र आकर इज़्ज़त,मान सम्मान, आदर सत्कार पर ख़त्म होजाता है, लाखों करोड़ों लोग ख़र्च कर देते हैं कि लोग उन्हें जाने पहचाने। अगर यही पहचान आपको मुफ़्त मे ग़रीबी मे मिल रही है, इज़्ज़त है, मान सम्मान है, आप लोगों के काम आरहे हैं सामाजिक प्रतिष्ठा है, दुआ सलाम है। अच्छे लोगों के साथ उठना बैठना है तो आपसे बड़ा रईस कोई नही है। जिस काम के लिए लोग करोड़ो अरबों ख़र्च कर रहे हैं वो आपको मुफ़्त मे मिल रही है। तो आपसे बड़ा अफ़ज़ल इंसान कोई नही है , ख़ुदा ने दौलत के लिए फ़रमाया की वो हर किसी को रिज़्क़ अता करता है, दौलत आज़माईश है, 

लेकिन इज़्ज़त मुख्लिस और ख़ास बंदे को अता की और फ़रमाया

"वत्तो इज़्ज़ो मंतशा, वत्तो ज़िल्लो मंतशा"

हम ही इज़्ज़त अता करते हैं हम ही ज़िल्लत अता करते हैं, अगर आपको इज़्ज़त मिल रही है तो सोचिए आप कितने अफ़ज़ल है। जिस चीज़ के लिए लोग पूरी ज़िन्दगी संघर्स करते हैं वो आपको अगर यूँही मिल रही है तो इससे बेहतर कुछ नही। दौलत तो तवायफ़ भी कमा लेती है, इज़्ज़त कमाने में पसीने छूट जाते हैं। दौलत शोहरत होने के बाद भी सबसे पहले किसी चीज़ का बचाव होता है तो इज़्ज़त का, लोग जितनी हिफाज़त अपनी इज़्ज़त की करते हैं उतनी परिवार और दौलत की भी नही।

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