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Showing posts from December, 2020

नशा किसी का भी हो जब सर पर चढ़ेगा तू घर को ही तोड़ेगा

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नशा किसी भी प्रकार का हो ख़तरनाक होता है बात करें अगर नशे के प्रकार की तो उसमें गांजा,अफ़ीम, हेरोइन, चिल्लम, कच्ची शराब, देसी शराब, अंग्रेज़ी शराब, तम्बाकू, गुटखा, सिगरेट, मुख्य है । कुछ स्थानीय नशा भी होता है कुछ आइंस्टीन की औलाद नया नया नशा ईजाद करते हैं जैसे सिगरेट की राख को चाय में घोल कर पीना आयोडेक्स को ब्रेड पर लगा कर खाना फँसाडील का सिरप पीना डाइजापाम का इंजेक्शन लगाना और भी बहुत सारे नशे करने के तरीक़े है और उनके कारोबारी है । अब बात करें अगर कैंसर की तो हर नशा अपने आप मे एक बीमारी है किसी प्रकार के नशे से आप ग्रेट खली नही बनते हैं । हर नशे की तरह जौनपुर में भी एक नशा होता है "दोहरे" का नशा जिसे जौनपुर वाले कैंसर का मुख्य कारक मानते है । जौनपुर में 3-4 दोहरा बहुत मशहूर माना जाता है शंकर, गणेश, राजू, का दोहरा उसके अतरिक्त जौनपुर में अब हर गली मोहल्ले में देखा देखी दोहरे का कारोबार फलने फूलने लगा । जिस तरह कोकाकोला बनाने की एक सीक्रेट रेसिपी होती है उसी तरह दोहरे की भी रेसिपी है जिस प्रकार बेनीराम की ईमारती कोई दूसरा नही बना सकता उसी तरह दोहरे के भी कुछ पद्धति ...

जब मज़दूर ने मालिक़ से पूछा आपको कितने पैसे चाहिए मैं देता हूँ

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हल जज़ाउल एहसान इल्ल एहसान  नेकी का बदला भला नेकी के सिवा कुछ है (सूरह रहमान) कभी कभी रिश्ते बनते नही है ख़ुद बा ख़ुद बन जाते हैं । इंसानियत के रिश्ते से बड़ा दुनिया में कोई रिश्ता नही होता है ।  ना कोई हिन्दू होता है ना कोई मुसलमान होता है  वक़्त पर जो काम आए वही बस इंसान होता है । ये कहानी नही एक सच्चाई है जो मैं आज आप लोगो को बताने जा रहा हूँ । इस कहानी है कि शुरुआत होती है लॉक डाउन से । मई में कोरोना और लोगों की मजबूरी चरम पर थी हर शख़्स मई में दो जून की रोटी को हैरान ओ परेशान था मार्च से लगे लॉक डाउन ने मई तक लोगो की क़मर ख़मीदा और हाल बोशीदा कर दी जो हालात पोशीदा दे वो मंज़र ए आम पर आगए । चारो तरफ अजीब सी खामोशी खाने की परेशानी और सुनाने को अपनी दुखभरी कहानी इसके सिवा कुछ नही बचा था । जो जहाँ था उसी जगह ठहर गया मानो वक़्त ने अपने आग़ोश में सभी को समेट लिया हो । रोज़ी रोटी और पैसा कमाने की चाह इंसान को उसके गाँव, शहर, वतन ले आयी थी इसी में आया था मेरे घर करंजाकला गाँव का जितेन्द्र नाम का एक मज़दूर । कहने को तो मज़दूर था पर दिल का राजा था । लॉक डाउन की फ़ुर्सत में घर पर ...

ओह मय गॉड इसने तो अक़ीदा जिहाद कर डाला अब क्या होगा

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लव जिहाद पर कानून बन गया क्योंकि इससे धर्मांतरण होता है । पर अक़ीदे जिहाद पर कानून बनाने के लिए ना सरकार ने कभी सोचा ना ही धार्मिक नेताओं ने । धर्म परिवर्तन से भी बड़ा मसला आस्था परिवर्तन का है उसपर कोई विचार नही करता । इस्लाम धर्म को मानने वाले मुस्लिम समुदाय में ही देख ले धर्म इस्लाम है समुदाय मुस्लिम है पर अक़ीदे जिहाद के चक्कर में खूंरेज़ी होजाती है । एक ही धर्म से भी होते हुवे शिया-सुन्नी अलग है क़ुरआन एक नबी एक अल्लाह एक बस अक़ीदा (आस्था) अलग होने से कई टुकड़ो में बंटे हुवे हैं । शिया सुन्नी में नही जा सकता सुन्नी अहले हदीस में नही जा सकता अहले हदीस देवबंदी को नही मानता देवबंदी बरेलवियों से नफ़रत करते है बरेलवी हनफ़ी को बुरा कहते है हनफ़ी चिश्तियों को बुरा कहते हैं उसमें भी सैय्यद में पठान को नही मिला सकते पठान अंसारियों को पसंद नही करते । सैय्यद, शेख़, पठान, अंसारी, मिर्ज़ा सिद्दीक़ी, क़ुरैशी, आलाने फलाने मतलब ये है कि सैय्यद को सैय्यद ही चाहिए हनफ़ी को हनफ़ी बरेलवी को बरेलवी देवबंदी को देवबंदी शिया को शिया ही । मजाल है कोई दूसरे अक़ीदे की लड़की से शादी करले । शिया सुन्नी मुसलमानों के...