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Showing posts from August, 2021

ख़ुद का घर संभलता नही और ये टुकड़ो में बंटे मुसलमान दुनिया फ़तह करेंगे

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(Image source BBC हििंदी) मुसलमान बारिश की उस बूंद की तरह है जो रेत पर गिरने से सुख जाती है और मिट्टी पर गिरने से कीचड़ बन जाती है।  जहाँ मुसलमान ज़्यादा है वहां एक दूसरी की मदद को हाथ नही बढायेंगे पर इन्हें फ़िक़्र अफ़ग़ानिस्तान , सऊदी, तुर्की, ईरान पाकिस्तान के मुसलमानों की है। जो आपके सामने है उसके लिए आपने क्या किया ? कितने ग़रीब मुसलमानों के लिए आपने आवाज़ बुलंद की कितनो को रोज़गार और शिक्षा दिलाई,कितने ग़रीब परिवार का सहारा बने ? फिरकापरस्ती से फ़ुर्सत नही हसद बुग्ज़ ओ कीना भरा पड़ा है कहने को बस मुसलमान है पर अगर देखे तो ना हर मुसलमान एक दूसरे का दुश्मन बना पड़ा है।  इन्हें लगता है अगर ये सोशल मीडिया पर नही लिखेंगे तो इस्लाम ख़तरे में पड़ जाएगा इस्लाम और मुसलमान की अलम्बरदारी इनके हाथ में है अपनी अधकचरी जानकारी के साथ मुसलमानों की  ताक़त बनने की जगह उन्हें टुकड़ो में बांट दिया है। अल्लाह,रसूल,सहाबा,ख़लीफ़ा, इमाम,शिया सुन्नी,हनफ़ी, देवबंदी, वहाबी,सफायी, सूफी, अहले हदीस, बरेलवी, सैय्यद, शेख, पठान अंसारी, मिर्ज़ा, सिद्दीक़ी, अहमदी, इस्माईली,  खोजा बोहरा, ऐसा लगता है ये ज़ात ...

बे अमल ना मुक़म्मल मौलवी बांट देंगे किसी को भी जन्नत। क्योंकि ये है मौलवी की जन्नत

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एक बार एक मौलवी साहब सफ़र से वापस आएं , पता चला की घर में कुछ खाने को नही है सफ़र की थकन और कई दिनों से नहा नही पाने से पसीने से तरबतर मौलवी साहब को किसी ने बताया कि बगल में हाजी साहब के यहाँ लल्लनटॉप दावत चल रही है। मौलवी साहब एकदम चपूवा भूखे थे सोचा पहले शिकम सेर हो ले फिर नाहा धो कर ढेर हो ले। मौलवी साहब के बदन से बदबू बहुत ज़्यादा आरही थी। मौलवी साहब जैसे दावत में पहुँचे सब इस्तक़बाल में खड़े होगए पर जैसे ही मुसाफ़े के लिए आते नाक भौं सिकुड़ने लगते। मौलवी साहब को अंदाज़ा होगया की बदन दफ़्न करने लायक़ है बेहतर है जल्दी खा पी के यहाँ से चिराओं ले लिया जाए। मौलवी साहब ने हाजी साहब को बुलाया और फ़रमाया मेरे बदन से बहिश्त की खुशबू आती है पर इसे सिर्फ़ ईमान वाला मुत्तक़ी परहेज़गार मोमीन ही सूंघ सकता है जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखता है,काफ़िर, मुशरिक, मुनाफ़िक़, मुनकिर को ये खुश्बू कभी नही सुंघाई देगी क्या आपको कुछ खुशबू महसूस होरही है ? हाजी साहब ने सोचा अगर कहेंगे कि खुशबू नही बदबू आरही है तो ईमान पर सवाल उठेगा, हाजी साहब ने कहा माशाअल्लाह, सुभानअल्लाह मैं सदके  जाऊं, क़ुर्बान होजाऊ...

इमाम हुसैन (अस) की शहादत पर महापुरुषों ने क्या कहा है

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दस मुहर्रम सन 61 हिजरी को कर्बला में यज़ीद इब्ने मुआविया एक ज़ालिम आतंकवादी द्वारा इमाम हुसैन इब्ने अली अलैहिस्सलाम को कर्बला के मैदान में तीन दिन का भूखा प्यासा इकहत्तर (71) साथियों के साथ बेरहमी से शहीद कर दिया गया था जिसमे छह महीने का छोटा बच्चा भी था। इस दिन को आशूरा कहा जाता है और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का ग़म मनाया जाता है।  महापुरुषों ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के लिए क्या कहा है आइये जानते हैं  इमाम हुसैन की शहादत को नहीं भूले लोग प्रधानमंत्री नरेंद मोदी:  इमाम हुसैन (स.अ.व.) ने अन्याय को स्वीकार करने के बजाय अपना बलिदान दिया. वह शांति और न्याय की अपनी इच्छा में अटूट थे.उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी सदियों पहले थीं. इमाम हुसैन के पवित्र संदेश को आपने अपने जीवन में उतारा है और दुनिया तक उनका पैगाम पहुंचाया है. इमाम हुसैन अमन और इंसाफ के लिए शहीद हो गए थे. उन्होंने अन्याय, अहंकार के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की थी. उनकी ये सीख जितनी तब महत्वपूर्ण थी उससे अधिक आज की दुनिया के लिए ये अहम है. महात्मा गांधी: मैंने हुसैन से सीखा कि मज़लूमियत में...

मानसिक रोगी हो तो घर पर रहो ये कंगारू की तरह सड़क पर उछलती क्यों रहती हो। हादसा या साज़िश जाने आज

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लखनऊ वाला कैब ड्राइवर काण्ड आप लोगों को जो भी लगता हो पर मेरा नज़रिया इसको लेकर एक़वाफिना, बिसलेरी, किनले, और एक़वालीने कि तरह बिल्कुल क्रिस्टल क्लियर है। मुझे ये एक्सीडेंट नही बल्कि एक सोची समझी साज़िश लगती है। आप देखिए प्रियदर्शिनी यादव किस तरह सड़क पर आती है उससे पहले एक गाड़ी खड़ी रहती है उसको पार करके ज़ेब्रा लाइन पर आती हैं वहाँ लाल सिंग्नल होता है गाड़ी से पाँच-सात क़दम पहले ही वो ज़ेब्रा लाइन पर रुक जाती है जब गाड़ी क़रीब आने को रहती है तभी फिर कैब ड्राइवर शहादत को निकाल कर पीटने लगती है पुलिस वाला  खड़ा देखता रहता है लड़की लड़को को कंगारु की तरह उछल उछल के कंटाप लगा रही है जैसा कि वीडियो में दिखाया गया है। मुझे ये हादसा कम साज़िश ज़्यादा लगती है वो इसलिए कि आगामी विधानसभा चुनाव होने है उत्तर प्रदेश में , कुछ सर्वे में दावा किया जा रहा है कि अगली सरकार सपा की बनने वाली है। अब आइये मेरे नज़रिये को 3D ग्लास लगा कर स्लो मोशन में देखते हैं। जैसा कि कहा जा रहा है कि आगामी विधानसभा में सपा की सरकार बनने के चांस है, अबे तैय फिर भी ना समझे बुड़बक, धत पगला, सपा सरकार बनने के चांस है मत-बल स...

जाने पूर्व में किस गलतफहमी से होता रहा है शिया सुन्नी विवाद मुहर्रम में और किस बात पर जारी हुई एडवाइजरी

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उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक डीजीपी सर द्वारा एक पत्र जारी किया गया है उस पत्र में मुहर्रम के मद्देनज़र पुलिस अधीक्षकों को दिशा निर्देश दिया गया है। उपयुक्त पत्र में मुहर्रम के संबंध में बहुत सारी बातें कही गयी है जिसमे मुहर्रम को अतिसंवेदनशील बताया गया है तथा ये भी कहा गया है इससे शिया सुन्नी विवाद उत्पन्न होसकता हैं। डीजीपी साहब का कहना है कि शिया समुदाय सुन्नी मुसलमानों के ख़लीफ़ाओं के ख़िलाफ़ तबर्रा (व्यक्तिगत लक्षणीय टिप्पणी) करते हैं।  तबर्रा के संबंध में कुछ बातें स्पष्ट करना चाहते हैं। पहली बात ये है कि इस्लाम में हज़रत मोहम्मद साहब के बाद जो उनके धार्मिक कार्यो को आगे बढ़ाए है तथा उनके दिशा निर्देशों का पालन किया वो ख़लीफ़ा कहलाएं। हज़रत मोहम्मद साहब की मृत्यु के बाद मुसलमानों के चार ख़लीफ़ा हुवे हज़रत उमर, हज़रत,अबू बक्र, हज़रत उस्मान और हज़रत अली। हज़रत अली मोहम्मद साहब के दामाद थे उनकी एकलौती बेटी शहज़ादी फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) के पति थे इन्हें शिया समुदाय अपना पहला इमाम (नेतृत्वकर्ता/ रहनुमा) मानता है। हज़रत अली ने हज़रत मोहम्मद (स) के साथ बहुत सारी जंगे की है। हज़रत अली के ही कनिष्...

अफ़सोस की सोशल मीडिया के धुरंधर बिना बातों को समझे चेपने लगते हैं, एक एडवाजरी ही तो है

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सोशल मीडिया कॉलेज की रफ कॉपी है कुछ भी लिखते रहो क्या फ़र्क़ पड़ता है जाना रद्दी में ही है। अब हमारी क़ौम के लोगों को ही देख लो जिस बात को प्यार से समझाया जा सकता है उस बात के लिए तक़रार पैदा कर रहे हैं। इस्लाम धर्म में तर्क के साथ बात की गई है। क़ुरआन अगर पढ़ा है तो देखे किस तरह उसमे तर्क दिया गया है नहजुल बलाग़ा पढ़े किस तरह हर चीज़ को तर्क के साथ समझाया गया है। पर अफसोस ही हमारी क़ौम ने जज़्बात को अपनाया जा नमाज़ को नही । एक एडवाजरी आयी उसपर हो हल्ला मच गया कॉपी पेस्ट वालों ने बिना सोचे समझे चेपना शुरू कर दिया अबे पहले समझ तो लेते उसमे क्या लिखा है और उस बात का जवाब कैसे देना है। हर बात कहने का समझाने का अपना तरीक़ा होता है। पहली बात की आज तक आप ये नही समझा पाएं की मुहर्रम क्या है क्यों मनाया जाता है और इससे सामाजिक और आर्थिक क्या फ़ायदा है। दूसरी चीज़ हम शिया सुन्नी पर लड़ते रहे पर इसपर कभी ध्यान नही दिया इसका आगे अंजाम क्या होगा ना आपके लड़ने से क़ुरआन बदल सकता है ना इस्लाम बदल सकता है। जो बातें लोहे महफ़ूज़ में है उसे आप बदल नही सकते ना किसी के ईमान और आमाल को आप बदल सकते हैं। जो बातें है...