ख़ुद का घर संभलता नही और ये टुकड़ो में बंटे मुसलमान दुनिया फ़तह करेंगे

(Image source BBC हििंदी) मुसलमान बारिश की उस बूंद की तरह है जो रेत पर गिरने से सुख जाती है और मिट्टी पर गिरने से कीचड़ बन जाती है। जहाँ मुसलमान ज़्यादा है वहां एक दूसरी की मदद को हाथ नही बढायेंगे पर इन्हें फ़िक़्र अफ़ग़ानिस्तान , सऊदी, तुर्की, ईरान पाकिस्तान के मुसलमानों की है। जो आपके सामने है उसके लिए आपने क्या किया ? कितने ग़रीब मुसलमानों के लिए आपने आवाज़ बुलंद की कितनो को रोज़गार और शिक्षा दिलाई,कितने ग़रीब परिवार का सहारा बने ? फिरकापरस्ती से फ़ुर्सत नही हसद बुग्ज़ ओ कीना भरा पड़ा है कहने को बस मुसलमान है पर अगर देखे तो ना हर मुसलमान एक दूसरे का दुश्मन बना पड़ा है। इन्हें लगता है अगर ये सोशल मीडिया पर नही लिखेंगे तो इस्लाम ख़तरे में पड़ जाएगा इस्लाम और मुसलमान की अलम्बरदारी इनके हाथ में है अपनी अधकचरी जानकारी के साथ मुसलमानों की ताक़त बनने की जगह उन्हें टुकड़ो में बांट दिया है। अल्लाह,रसूल,सहाबा,ख़लीफ़ा, इमाम,शिया सुन्नी,हनफ़ी, देवबंदी, वहाबी,सफायी, सूफी, अहले हदीस, बरेलवी, सैय्यद, शेख, पठान अंसारी, मिर्ज़ा, सिद्दीक़ी, अहमदी, इस्माईली, खोजा बोहरा, ऐसा लगता है ये ज़ात ...