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मोटिवेशनल स्पीकर मोहम्मद मुज़म्मिल हैं भारत के "ड्रीम विनर"

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ये मेरे सपने ही तो हैं जो हौसला खोने नही देते हैं दिन में चैन नही लेने देते रातों को सोने नही देते हैं मंज़िल उन्ही को मिलती है जिनके सपनो में जान होती है पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है देर नही लगती ज़िन्दगी खूबसूरत बनाने में जब आप अपने सपनो को साकार कर लेते हैं और यही लोग कहलाते हैं "ड्रीम विनर" कुछ इन्ही पंक्तियों के साथ विमोचन हुआ मोटिवेशनल स्पीकर मोहम्मद मुज़म्मिल की दूसरी नई पुस्तक "ड्रीम विनर" का नगर के सिपाह में स्थित गोपाल जी गॉर्डन मे शेयर एंड केअर वेलफेयर ट्रस्ट के तत्वावधान में जौनपुर के मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर जिन्हें लोग जौनपुरिया संदीप माहेश्वरी के नाम से जानते हैं मोहम्मद मुज़म्मिल खान की दूसरी नई पुस्तक "ड्रीम विनर" का हुआ विमोचन।  समाज सेवक,लेखक,अध्यापक, लाइफ कोच,मोटिवेशनल स्पीकर मोहम्मद मुज़म्मिल एक शख़्स नही शख़्सीयत हैं। उन्होंने अपनी नई पुस्तक में बताया है कि सपने तो सभी देखते हैं लेकिन उस सपने को साकार कैसे किया जाए उसका गुरुमंत्र अपनी इस पुस्तक में दिया है।  क़ुरआन ए कलाम ए पाक एवं सरस्वती वंदना से हुआ कायर्क्रम का श...

ख़ुद के अंदर हज़ार कमी लेकर हमे रिश्ता "कस्टमाइज़" चाहिए।

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* रिश्ते ख़ुदा की जानिब से बनाए जाते हैं या इंसान की तरफ से ?* रिश्ते इतने अज़ीम है कि जनाबे आदम अस. की ख़िलक़त के लगभग सौ साल बाद जनाबे हउवा अस. को अल्लाह ने ख़ल्क़ किया। उन्हें ज़मीन पर एक मक़सद के तहत उतारा उन्हें औलाद अता की और हुक़्म दिया इनका अक़्द करो जिससे तुम्हारी नस्ल परवान चढ़े। इसी तरह अहलेबैत अस के लिए भी जोड़े का इन्तेख़ाब किया। यहाँ तक कि कनीज़ों को भी अपनाया।    आज दुनिया * कस्टमाइज़ रिश्ता* चाहती है ख़ुदा ने जो उनके लिए जोड़ा बनाया है वो नही, हला की बाद में उन्हें वही लड़की मिलती है जो उनके नसीब में रहती है। दुनियाभर की ख़ाक़ छानने के बाद वो लौट के अपनी असली सूरत में आजाते हैं। इंसान को अल्लाह ने अशरफुल मख़लूक़ात बनाया है, अक़्ल शऊर दिया, लेकिन इंसान आज जानवर से बदतर है। और क़ौम के मुक़ाबले शिया पर अमल का हक़ कुछ ज़्यादा है। ये दीन ए इस्लाम हमे ऐसे नही मिला और शीयत इतनी आसानी से नही बढ़ी है इसके लिए क़ुर्बनियाँ दी गयी। और उन क़ुर्बानियों से पहले अमल किया गया। किसी भी एक अम्बिया, ईमाम का नाम बता दें जी जिन्होंने ख़ुद के नाम के आगे *" सैय्यद "* लिखा हो ? अव्वलन लोगों को * सैय्यद...

खून से लिखी यहूदियों की दास्तान (द किलर ऑफ इनोसेंट,होलोकॉस्ट विलेन हिटलर या यहूदी ?)

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इस्राइल ने फिलिस्तीन पर लगातार हमले किए, फिलिस्तीन के मज़लूम बेगुनाह लोगों की, जाने ली उसकी जवाबदेही मे फिलिस्तीन की ग़ाज़ा पट्टी का संगठन हरक़त-अल-मुक़वामा-अल इस्लामिया (हमास) ने 6 अक्टूबर 2023 को इस्राइल पर हमला कर दिया। इस्राइल ने भी फिर हमला किया जो अभी तक जारी है। फिलिस्तीन पूरी तरह तबाह और बर्बाद होगया, जो ज़िन्दा बचे लोग थे वो राफ़ाह शहर में शरण लेकर रह रहे थे जिसमें ज़्यादातर बच्चे थे। 26 मई 2024 को बेंजामिन नेतन्याहू के  नेतृत्व वाली इस्राइली सरकार ने राफ़ाह पर बमबारी कर दी जिमसें सौ से अधिक बच्चे ज़िन्दा जल गए। क्या बेंजामिन नेतन्याहू ख़ुद को हिटलर साबित करना चाहता है। ? अगर इतिहास के झरोखों मे देखे तो हिटलर ने जो कुछ 1933-1944 तक यहूदियों के साथ किया बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली इस्राइल सरकार वही कृत दोहरा रही है।  जो नरसंहार हिटलर और नाज़ी सेना ने किया था वही नरसंहार इस्राइल फिलिस्तीनीयों के साथ कर रही है।  हिटलर ने क्या किया था संक्षेप में समझते हैं। 30 जनवरी 1933 को हिटलर को जर्मनी का चांसलर बना दिया गया। हिटलर का मानना था यहूदी जर्मन नागरि...

IMAM ZAMANA A.S KI ZAHOOR KI ALAMATEN

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IMAM E ZAMANA AS. KE ZUHUR KI 278 ALAMAAT 1: AURTE MARDO ME MUSHABEH HOGI 2: MARD AURTO JAISE HOGE 3: AURTE JIN JAISI CHIZE GHODE,CUCLE,SCOOTER,CAR WAGAIRA PAR SAWARI KAREGI 4: NAMAZ JAN BUJ KE KAZA KI JAYEGI 5: LOG KHWAHISHAT E NAFSANI KI PAIRVI KARNE LAGE GE 6: KATL KARA MAMULI CHIZ SAMJA JAEGA 7: SUD KA ZOR HOGA 8: ZINA AAM HOGA 9: ACHCHHI ACHCHHI IMARTE BAHOT BANEGI 10:JOOTH BOLNA HALAAL SAMJA JAEGA 11) RISHWAT AAM HOGI 12) SHAHWATE NAFSANI KI PARWAH NA HOGI 13) DIN KO DUNIYA KE BADLE BECHA JAEGA 14) AZIZDAARI KI PARWAH NA HOGI 15) AHEMAKO KO AAMIL BANAYA JAEGA 16) BURD BAARI KO BUZDILI WA KAMZORI PE MEHLUL KIYA JAEGA 17) ZULM FAKHR KE TAUR PE KIYA JAEGA 18) BAADHSHA WA UMRA FAASIK WA FAAJIR HONGE 19) VAZEER JUTHE HOGE 20) AMANAT DAAR KHAEN HOGE 21) HAR EK MADADGAR ZULM PARWAR HOGE 22) KAARIAANE QURAN FASIK HOGE 23) ZULM WA JAUR AAM HOGA 24) TALAAK BAHUT ZYADA HOGI 25) FISKO FAJUUR NUMAYA HOGE 26) FAREBI KI GAWAHI KUBUL KI JAEGI 27) SHARAB NOSHI AAM HOGI 28) AGLAM BAAZI...

इज़्ज़त बड़ी है या पैसा ?

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जब आप किसी से मिलते हैं किसी के घर जाते हैं,सबसे पहला सवाल आपकी ख़ैर, ख़ैरियत का नही, आपकी कमाई का होता है,  बेटा क्या करते हो ? कितना कमाते हो ? कोई ये नही पूछता कैसे कमाते हो , दो सौ सैंतीस हार्मोन्स,  छत्तीस मिनरल्स, प्रोटीन ,दो सौ छह हड्डी अरबों सेल्स और बारह से सत्तरा लीटर ख़ून, दो आँख, एक नाक, दो कान, दिल,गुर्दा फेफड़ा, दो बाज़ू ,दो टांग और लाखों इलेक्ट्रान प्रोट्रान न्यूट्रॉन को छोड़ इंसान की भौतिकी क्षमता का आंकलन करने वाले समाज संचालक कागज़ की सरकारी मोहर की बात होती है।  पैसा इंसान क्यों कमाता है ? आपका जवाब होगा जीने के लिए परिवार के संचालन के लिए समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाने के लिए, घर,गाड़ी मोटर और सामाजिक भोग विलास के लिए।  लेकिन इससे भी परे एक चीज़ है, वो है इज़्ज़त, मान सम्मान। जिसके लिए लोग समाजसेवा करते हैं, चुनाव लड़ते हैं, दान दक्षिणा करते हैं कि लोग उनका सम्मान करें उन्हें जाने, वो जहाँ जाए लोग सलाम करें, आदर सत्कार करें। सब कुछ इंसान मान सम्मान के लिए करता है वो सामाजिक बनता है, ब्याह रचाता है, परिवार बनाता है बच्चों को पढ़ा लिखा कर क़ाबिल बनाता ...

क्या आप जानते हैं पुरुषों के पीरियड के बारे में ?

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ईश्वर ने प्रकृति को कई वरदान दिए हैं, आग,पानी,हवा,जड़ी बूटी और उससे दवा, चरिंद,परिंद, ज़मीन आसमान,पहाड़, पेड़ पैधे और सबसे बड़ी नेमत इंसान जिसे अक़्ल ओ शउर अता किया।  इंसान ही ऐसा है जिसे दुख,दर्द,हँसी, ख़ुशी, प्यार, मोहब्बत, नफ़रत, अच्छे बुरे का एहसास है। इंसान ही ऐसा है जो हँसता भी है रोता भी है प्यार भी करता है गुस्सा भी करता है। जब तक इंसान अच्छे से बात करता है तो लगता है इससे बेहतर इंसान,इससे ज़्यादा प्यार और परवाह करने वाला कोई नही है,पर जैसे ही इंसान, गुस्सा होता है चिड़चिड़ा होता है हमे वो ज़हर लगने लगता है। ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव में बहुत सारी परेशानियां आती है। किसी की शादी नही होरही,किसी के माँ बाप नही होते,कोई दुनिया से कटा है,कोई काम पर डटा है। किसी को बॉस डांट रहे हैं किसी को पति/पत्नी सुना रही है। कोई अपने ग़म से परेशान है तो कोई दूसरों की ख़ुशी से परेशान है। पल में हंसाता है पल में रुलाता है इंसान पल में कितना बदल जाता है। आपने अक़्सर सुना होगा जब महिलाओं को मासिक धर्म (पीरियड) शुरू होता है तो उनका मूड बदल जाता है, अच्छी अच्छी बात भी बुरी लगती है। चिड़चिड़ापन, दर्द,मूड स्व...

ज़िन्दगी एक "चक्रव्यूह"

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हम ज़िन्दगी को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं और क़िस्मत अपने हिसाब से, हम वो चाहते हैं जो नसीब में नही होता और नसीब वो चाहता है जो हमारी चाहत में नही होता, हम चाहते हैं सब काम होजाए और ख़ुदा चाहता है ज़िन्दगी आसान होजाए। नसीब में जो लिखा है उसे कोई मिटा नही सकता और नसीब का रिज़्क़ कोई खा नही सकता।  कुछ ऐसी ही सच्ची घटना पर आधारित ये "चक्रव्यूह" है। शुरू करते हैं आज से चक्रव्यूह सीरीज़। अठारह साल पहले एक युवक विदेश कमाने जाता है, दो औलाद है। विदेश में सब कुछ अच्छा चलता है इज़्ज़त शोहरत दौलत सब कुछ है पर नसीब में कुछ और ही लिखा हुआ है। एक रोज़ परिवार में कुछ आपसी कलह होजाती है और वो शख़्स विदेश से अपने देश आजाता है। हालात कुछ ऐसे बनते है उसे अपना घर छोड़ कर कहीं और बसेरा जमाना पड़ता है। जैसा कि आप भी जानते है विदेश जाना आसान है पर वहां से आकर दोबारा जाना बहुत मुश्किल, इमरजेंसी में शख़्स ये सोच कर आता है कि कुछ दिन की बात रहेगी। उस शख़्स का बॉस छुट्टी देने से इनकार करता है और कहता है हम तुम्हे छुट्टी नही दे सकते हैं। वो शख़्स कहता है मेरा घर जाना ज़रूरी है तुम मेरा बोनस और सैलरी दे द...

बोएंगे बबूल और उम्मीद आम की लगाएंगे,हम भी कुछ ऐसे शादी करते जाएंगे।

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जैसे ही दौरे जदीद के साल ए जदीद का आग़ाज़ हुआ शादीयों का सिलसिला शुरू होगया। शादी वैसी शादी अब ना रहकर कॉन्ट्रैक्ट मैरिज रह गयी है। ख़ूब ख़िलाओ, पिलाओ फ़िज़ूल ख़र्ची करो और जब मन हो छोड़ दो। क्या वजह है कि आज की शादीयों में बरक़त ख़त्म होगयी ? क्या वजह है कि लाखों करोड़ों ख़र्च करके भी हम सुकुनीयत अख़्तियार नही कर पाते ? क्या वजह है जो शादीयाँ टूट रही है ? उसकी वजह है शैतानियत को बढ़ावा देना। निक़ाह के नाम पर बरहना नमहरहम में नुमाईश लगाना।  अदब ए इस्लामी के कुछ उसूल है जिसमे अल्लाह ने बरक़त रखी, रसूलअल्लाह (स.अ) फ़रमाते हैं फ़िज़ूल ख़र्ची मत करो,हमने दिल खोल के फ़िज़ूल ख़र्ची की और क़र्ज़ के बोझ तले दब गए, फिर सुनने में आया फलां का तलाक़ होगया, लोग पूछते हैं क्यों ?  जवाब मिलता है लड़की को कुछ आता नही था ससुराल वालों का कहना नही मानती थी, लड़का ग़रीब था उसकी आमदनी कम थी।  शादी करना बहादुरी नही है, बहादुरी आपकी तरबीयत में है, जो आप बोएंगे वही आप काटेंगे। जैसा आपने अपने बच्चों को सीखाया पढ़ाया होगा बच्चा वही करेगा, आप ग्रेंड वेडिंग की आड़ में अपने बच्चों की खामियों को छुपाना चाहते हैं। ताकि श...

इस आग (तनाव) में इंसान निखर जाता या बिखर जाता है!!

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इंसान का गुस्सा,हसद,जलन,और बेसरहद फ़रमाइश  लतादात आरज़ूओ की ख़्वाहिश उसे तनावग्रस्त, फ़िक्रमंद करती है। टेंशन और डिप्रेशन दो ऐसी आग है जिसमे इंसान या तो निखर जाता है या फिर बिखर जाता है। कभी कभी तनाव भी कुछ ऐसे रास्ते दिखा देता है जिसे हम देख नही सकते। हमारी क़ुव्वत और तवानाई को ये तन्हाई से ही ताक़त मिलती है। जब इंसान महफ़िल में होता है तो ख़ुदा से दूर होता है और जब इंसान तन्हा होता है तब ख़ुदा के क़रीब होता है। शैतान का सबसे बड़ा हथियार औरत और दौलत है, जिसके वार से एक भी इंसान नही बचता है। औरत की लज़्ज़त और और दौलत ओ शोहरत में लतादात ज़बरदस्ती की बरक़त इंसान को ख़त्म कर देती है।  ईमाम अली अस. ने फरमाया, इंसान कभी क़ुदरती मौत नही मरता उसे दूसरों से जुड़ी बावस्ता उम्मीदें,ख़्वाहिशें मार देती है।  हम दूसरों से मदद की आस में अपनी क़ाबिलियत को खो देते हैं। जिस काम को करने का हुनर होता है उस काम को छोड़ दूसरे के काम को करने का जज़्बा पाल लेते हैं। ऊपर वाले है हर किसी को किसी एक ख़ास मक़सद से पैदा किया है। हमे जितना मिलता है उसमें हम सुकून से नही रहते और अच्छा और अच्छा इससे बेहतर की ख़्वाह...

प्लीज़ हमे हमारी अज़ादारी लौटा दीजिए। मत कीजिए जदीद बेहुरमती।

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प्लीज़ हमे हमारी अज़ादारी लौटा दीजिए। अज़ादारी ए ईमाम हुसैन अस किसी तार्रुफ़ या किसी जदीद तरीक़े की मोहताज नही है। ईमाम हुसैन अस का ग़म एक ऐसा ग़म है जिसे किसी जदीद तरीक़े से महसूस करने की ज़रूरत नही है। क्या होगया है हमे आपको, किस दौड़ में शामिल होरहे हैं हम ? कहाँ है अब वो रौनक ए अज़ा ?  कहाँ है वो बुज़ुर्गों का ताबरुक़ात जो हमे अज़ादारी की शक्ल में मिला था ? आज जिस तरह से अज़ादारी होरही है क्या उस अज़ादारी से हम ईमाम अस को पुरसा दे रहे हैं या उनके नाम पर इवेंट कर रहे हैं। काली ईद के नाम से मशहूर कर दिया है मुहर्रम को, मुहर्रम शुरू होते ही कपड़ों की खरीदारी ख़ुद की सजावट शुरू होजाती है। जदीद जदीद तरीक़े ईजाद होरहे हैं। कोई थ्री डी ज़ुल्जनह ला रहा कोई सौ फीट का अलम उठा रहा है किसी को ताज़िया डिजाइनिंग वाला चाहिए कोई मातम की कोरियोग्राफी करवा रहा है कोई VR (वर्चुअल रियलिटी) पर ईमाम हुसैन अस का दर्द महसूस करवा रहा है। शबबेदारी के नाम पर बेदार करने की जगह महफ़िल सजाई जा रही है। वक़्त की पाबंदी का ख़्याल नही है ना ही अज़ादारी का ख़्याल है। नक़्शेबाज़ी की जा रही है एक्टिंग की जा रही है नौहे को नौहे की...

मोजिज़ा ए हिदायत, जब मिली साहू जी को रौज़ा ए मौला अली से बशारत

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मुहर्रम का आगाज़ हो चुका है। सफ़ीना ए निजात का काफ़िला निकल चुका है। कश्ती ए निजात बस आपके पास पहुंचने वाली होगी।  यही वो नाम ए हुसैन अस है जिसकी बशारत अल्लाह ने दी। यही वो हुसैन अस है जिनका झूला फरिश्तों के सरदार हज़रत जिब्राईल अलैहिस्सलाम ने झुलाया। यही वो हुसैन अस है जिनका नाज़ रसूलअल्लाह स.अ उठाया करते थे। यही वो हुसैन अस है जिनके नाना रहमत-उल-लील-आलमीन दोनों जहां के मालिक है बाबा शेरे ख़ुदा वली ए ख़ुदा मौला अली अस हैं। जिनकी माँ सिद्दिक़ा और ताहिरा और जन्नत की औरतों की सरदार दुखतर ए रसूल स.अ शहजादी फ़ातिमा ज़हरा है। जिनके भाई और जो ख़ुद भी जवानाने जन्नत के सरदार है। जिनके लिए हदीस ए कुद्दुस है अल्लाह फ़रमाता हैं। कि मैं एक छुपा हुआ ख़ज़ाना था, मैंने चाहा मैं पहचाना जाऊ तो मैंने नूर ए पंजतन अलैहिस्सलाम को हज़रत आदम से दो हज़ार साल पहले ख़ल्क़ किया। ये वो हुसैन है जो जिनकी पैदाईश पर अल्लाह ने फरमाया ऐ फरिश्तों ज़मीन पर जाओ आज मेरे हबीब मेरे नबी का नवासा तशरीफ़ लाया है उसकी मुबारक़बाद दे दो। जो फ़ितरुस को बाल ओ पर अता कर दें। जो राहिब की क़िस्मत को पलटा कर ला वालद को 7 औलाद अता कर दें। जो म...

जब्बार की बिटिया और रुख़सार की अम्मी (लखनऊ की बाजी) ने जब रखा ज़ुकरूवा के सीने पर क़दम, बवाल मचा दिया बे

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कौन कहता है आसमान में सुराख़ नही हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। कुछ इस तरह की लाइन को चरितार्थ करती है रुख़सार की अम्मी (लखनऊ की बाजी) अब आप पूछेंगे भला ये रुख़सार की अम्मी और जब्बार खान की औलाद कौन है ? चलिए मिलवाते हैं आपको रुख़सार की अम्मी जब्बार खान की मशहूर तमीजों तहज़ीब वाली बिटिया से।  जैसे जैसे रुख़सार बड़ी होरही है जब्बार खान की बेटी को रुख़सार की शादी की फ़िक्र सताने लगी है। एक तरफ ये तपती धूप और दूसरी तरफ रुख़सार का ढंकता रंग , रुख़सार की अम्मी को फिक्र के समुंदर में गोते लगवा रहा है।  हाथ तंग है अभी बिटिया जवान होरही है, रुख़सार का ब्याह रचाना है। इस प्रचंड गर्मी से निजात के लिए रुख़सार की अम्मी ने अभी कुछ दिन पहले ही एसी लगवाया है ताकि बिटिया को पसीना ना हो और बिटिया का रंग गोरा चिट्ठा बनना रहे।  हो भी क्यों ना हर माँ को अपनी औलाद की फिक्र रहती है फिर भला जब्बार खान की बिटिया अपनी औलाद के लिए फिक्रमंद क्यों ना होती ?  एकलौती होनहार बिटिया है जो एलएलबी कर रही है। वो भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से। लॉक डाउन के दौरान घर में बैठी बैठी रुख़सार और उनकी अम्म...